आबादी के लिहाज से देखें तो दुनिया के पांचवे सबसे बड़े राज्य की व्यवस्था चला पाना एक सरकार के बस की बात नही आप प्रवक्ता श्री सिंह ने कहा क़ि बुंदेलखण्ड , पूर्वांचल ,अवध और पश्चिमी क्षेत्र के लोग अपने लिये अलग राज्य की मांग अर्से से कर रहे हैं. यह जनभावना का सवाल है. पार्टियों को इस पर गम्भीरता से सोचना चाहिये उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का मानना कि कानून-व्यवस्था और विकास की स्थिति को बेहतर बनाने के लिये छोटे राज्यों का गठन जरूरी है. अभी उत्तर प्रदेश की हालत देखिये. मैं पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर चीजों को देख रहा हूं. जर्जर कानून-व्यवस्था होने और विकास की अनदेखी के कारण स्कूल, सड़क और अस्पताल नहीं बन पा रहे हैं. सोनभद्र सबसे ज्यादा राजस्व देता है, मगर वहां के हालात देखिये। पूर्वांचल की हालत देख लीजिये. उत्तर प्रदेश चार राज्यों में बंट जाएगा तो अच्छा रहेगा. श्री सिंह ने कहा कि अजित सिंह भी कर चुके हैं ‘हरित प्रदेश‘ की मांग वैसे, पहले भी उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन की मांगें होती रही हैं, मगर ज्यादातर दलों के लिये यह सियासी सहूलियत का मामला कभी नहीं रहा. पूर्व केन्द्रीय मंत्री चैधरी अजित सिंह कई बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को मिलाकर ‘हरित प्रदेश‘ बनाने की मांग कर चुके हैं उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग तो कई बार उठ चुकी है, लेकिन इस पर कोई ठोस कदम बसपा अध्यक्ष मायावती की सरकार ने ही उठाया था. नवम्बर 2011 में तत्कालीन मायावती सरकार ने राज्य विधानसभा में उत्तर प्रदेश को चार राज्यों पूर्वांचल, बुंदेलखण्ड, पश्चिम प्रदेश और अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव पारित कराकर केन्द्र के पास भेजा था.।