मोटापा प्रमुख वजह है। ज्यादा जंकफूड, वसायुक्त व मीठा भोजन और व्यायाम की कमी से वजन बढ़ता है। ऐसे में अधिक चर्बी से एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा अधिक हो जाती है और छोटी-छोटी गांठें गर्भाशय में बनने लगती हैं। इन दिनों लड़कियों में बढ़ता काम का तनाव उन्हें संतुलित खानपान से दूर कर देता है। जिससे होने वाले हार्मोनल बदलाव रोग की वजह बनते हैं।
चेहरे पर बाल आना, मुंहासे, अनियमित माहवारी, पेट के आसपास फैट जमना, गर्भधारण में मुश्किल आना आम दिक्कतें हैं।किशोरावस्था की शुरुआत और माहवारी के शुरू होने के समय से ये लक्षण दिखने लगते हैं। कई मामलों में 25-26 साल की उम्र के बाद ये लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं।
वजन घटाकर और हार्मोन को संतुलित कर इस बीमारी को काफी हद तक काबू में कर सकते हैं। शारीरिक गतिविधियों में खुद को शामिल करें। खानपान के साथ दिनचर्या में सुधार करें।