नारायण राणे (Narayan Rane) खुद किसी जमाने में कट्टर शिवसैनिक और शिवसेना के कद्दावर नेता रहे। वे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में मोदी सरकार में लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री हैं। उनका अपनी लोकसभा सीट रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग की आठों विधानसभा सीटों पर उनका डंका वैसे ही बजता है, जैसे दुनिया भर में हापुस आम का। चुनाव प्रचार का शोरगुल थमने तक दोनों सीटों पर राणे परिवार के आसपास भी कोई प्रतिद्वंद्वी दिखाई नहीं दिया।
दिलचस्प यह है कि नारायण राणे का एक बेटा नीतेश राणे कणकवली से फिर भाजपा के टिकट पर तो दूसरा बड़ा बेटा नीलेश राणे इसकी पड़ोसी सीट कुडाल से महायुति में भाजपा की सहयोगी शिवसेना शिंदे के टिकट पर मैदान में है। नीतेश कणकवली से दो बार के विधायक हैं, तो नीलेश अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं। निसंदेह पिता के राजनीतिक कद के चलते दोनों बेटों को एक साथ टिकट मिला है। राणे वर्तमान में रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद हैं और दोनों बेटों की विधानसभा सीटें उनके लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। बेटों की जीत पिता के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। नीतेश चूंकि तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं तो उनके खिलाफ लोगों की नाराजगी कोई असर न दिखाए और नीलेश राजनीति में लॉन्चिंग अटेम्पट में ही कहीं फेल न हो जाए, इसके लिए राणे ने अपनी पूरी ताकत झौंक दी है।
कभी थे अपने, अब है मुकाबिल
निसंदेह दोनों सीटों पर शिवेसना उद्धव के प्रत्याशियों के लिए अविभक्त शिवसेना के एक समय दिग्गज रहे नारायण राणे के दबदबे वाले इलाके में उनके बेटों से मुकाबला कड़ी परीक्षा से कम नहीं है। नारायण राणे खुद अपने दोनों बेटों की जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं, और किसी जमाने में उनके मातहत शिवसैनिक रहे संदेश पारकर को कणकवली में और वैभव नाइक को कुडाल में राणे पुत्रों के सामने पसीने छूट रहे हैं। वैसे रत्नागिरी जिले की 6 में से 4 सीटों पर दोनों शिवसेना आमने-सामने हैं लेकिन कणकवली और कुडाल में उद्धव सेना का असल मुकाबला भाजपा या शिवसेना शिंदे से नहीं नारायण राणे के नाम और उनके दबदबे से है।
मुखर होने से कन्नी काटता मतदाता
नीतेश राणे के चुनाव क्षेत्र कणकवली के बाजार में चुनाव प्रचार थमने की शाम कई लोगों से बात करने के प्रयास में एक बात अच्छे से समझ आ गई की राणे परिवार के खिलाफ खुल कर बोलने को ज्यादातर लोग तैयार नहीं। लेकिन जो राणे के समर्थक हैं वे खुल कर तारीफों का पुल बांधते दिखे। स्टेशन से होटल के रास्ते में ऑटो चालक छूटते ही बोला कोई जीते हमें तो ऑटो ही चलाना है, कोई फैक्ट्री तो खुलने से रही और कोई नौकरी तो मिलने से रही। कमरे तक सामान छोड़ने आए होटल के केयर टेकर विनोद तांबे ने कहां यहां तो भाजपा जीतेगी। विधायक ने दस साल में कई काम करवाए हैं, लाड़की बहना योजना से महिलाएं खुश हैं। नीलेश का तो पता नहीं यहां नीतेश की जीत पक्की है। बाजार में मिले मुकुंद परब ने भी नीतेश के जीतने की बात कही। लेकिन साथ में जोड़ा शिवसेना उद्धव से लड़ रहे संदेश पारकर कणकवली के निवासी हैं, उन्हें कस्बे में बढ़त मिलेगी पर गांवों में नीतेश बाजी मार जाएगा, क्योंकि उनके पिता का दबदबा है। एक अन्य ऑटो चालक दीपक माड़गुट के अनुसार इस बार टक्कर है, नीतेश जीते तो भी उनकी जीत का अंतर तो पक्का कम होगा। कणकवली के ओवर ब्रिज के नीचे पटवर्धन चौक में सब्जी बेच रही सकीना पठान बोली लाड़की बहन के साढ़े सात हजार रुपए मिले हैं। किसने दिए के जवाब में बोली, एकनाथ ने। वोट किसको दोगे तो कहा, एकनाथ की पार्टी का कौन है?
नारायण से थोड़ी नाराजगी भी
कणकवली में नारायण राणे के मुखपत्र “प्रहार” के दफ्तर में चल रहे नीतेश के चुनाव कार्यालय में मिले सुभाष मालड़कर का दावा था कि नीतेश ने दस साल में कणकवली विधानसभा क्षेत्र में विकास के खूब काम किए। यहां था क्या, आज आप खुद देखो। शिवेसना उद्धव के प्रत्याशी संदेश पारकर के लोकल होने की बात पर सुभाष ने ऊंची आवाज में कहा कणकवली के अलावा जानता कौन जानता है संदेश को ? इसी तरह शिवसेना उद्धव के चुनाव कार्यालय में शिवसेना उद्धव के तालुका उप प्रमुख नारायण राणे परिवार से ज्यादा ही नाराज दिखे। नीतेश का व्यवहार लोगों के प्रति ठीक नहीं है। कहता है, कौन है उद्धव ठाकरे ? लोग मुंह पर नहीं बोलते लेकिन 23 तारीख को वे इसका करारा जवाब देंगे। लोग दोनों बेटों को और वो भी अलग-अलग पार्टी से चुनाव लड़वाने से भी नारायण राणे से नाराज हैं।