20 वें सप्ताह से दिखते लक्षण
35 से ज्यादा उम्र की महिलाओं के मां बनने से उनके बच्चों में जन्मजात बीमारियों के होने की आशंका रहती है। ऐसी महिलाओं को प्रीएक्लेंपसिया होने की आशंका ज्यादा होती है। इसके लक्षण गर्भकाल के 20वें सप्ताह में दिखाई देते हैं। हाइ बीपी के साथ-साथ ऊतकों में पानी भर जाता है। यूरिन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। यह मां व शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। मधुमेह, हाइ बीपी, गर्भपात, प्लेसेंटा प्रिविया जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। शिशुओं का मानसिक विकास भी सही से नहीं हो पाता है।
महिला का हैल्दी होना जरूरी
देर से गर्भधारण करने वाली महिलाओं का स्वस्थ होना जरूरी है। इसके लिए पहले चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। पोषक-तत्वों से भरपूर आहार, मौसमी सब्जियां, फल और सूखे मेवे दिनचर्या में शामिल करें। साथ ही, नियमित व्यायाम और वॉक भी डिलीवरी होने तक करें।
परिवार नियोजन का सुरक्षित और नया मेथड
परिवार नियोजन के लिए गर्भनिरोधक इंजेक्शन (इंजेक्टऐबल स्पेसिंग मेथड) मांसपेशियों में हर तीसरे महीने, माहवारी के दौरान 7 दिन के अंदर लगवाना होता है। प्रसव बाद (दूध पिलाने वाली मां) छह सप्ताह में डॉक्टर से परामर्श के बाद लगवा सकती हैं। दो बच्चों के बीच छह इंजेक्शन से उचित अंतराल रखा जा सकता है। इससे महिला को अनियमित मासिकधर्म हो सकता है, जो स्वत: सही हो जाता है।
दूध के साथ शतावरी लें
आजकल कामकाजी महिलाएं २५-३० की उम्र में विवाह और 30 से 35 वर्ष की उम्र में गर्भधारण कर रहीं हैं। इस कारण उनका ओवम कमजोर हो रहा है। आयुर्वेद के अनुसार 3 ग्राम मुलेठी, 3 ग्राम शतावरी पाउडर दूध के साथ लें। गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था दोनों अवस्थाओं में फायदेमंद है।