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बूंदी के रामगढ़ टाइगर रिजर्व पर एनटीसीए ने लगाई मुहर

राज्य के चौथे बाघ परियोजना रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व पर सोमवार को एनटीसीए ने मुहर लगा दी है। लम्बे समय से रामगढ़ अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर कवायद चल रही थी। इसके लिए वन विभाग की ओर से प्रस्ताव जयपुर भेजे गए थे। जिन्हें कुछ समय पहले ही नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी को भेजा था।

बूंदीJul 06, 2021 / 09:29 pm

पंकज जोशी

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बूंदी के रामगढ़ टाइगर रिजर्व पर एनटीसीए ने लगाई मुहर
जारी किए आदेश : राज्य का चौथा टाइगर रिजर्व होगा बूंदी में
बूंदी. राज्य के चौथे बाघ परियोजना रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व पर सोमवार को एनटीसीए ने मुहर लगा दी है। लम्बे समय से रामगढ़ अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर कवायद चल रही थी। इसके लिए वन विभाग की ओर से प्रस्ताव जयपुर भेजे गए थे। जिन्हें कुछ समय पहले ही नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी को भेजा था। इस पर सोमवार को एनटीसीए ने आदेश जारी कर दिए हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से सहमति मिलने के बाद एनटीसीए ने रामगढ़ को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की सहमति दी। एनटीसीए ने सोमवार को ही राजस्थान के वन सचिव को पत्र भेज दिया।
जानकारी के अनुसार 1982 में रामगढ़ को अभयारण्य का दर्जा दिया गया था। 307 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बसे रामगढ़ अभयारण्य में बाघों की संख्या भी काफी अच्छी थी। इसके साथ ही रणथम्भौर बाघ परियोजना से जुड़े होने के कारण यहां लगातार बाघों का आना-जाना रहा है। बाघों के अनुकूल होने के कारण रामगढ़ को टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद लम्बे समय से चल रही थी। इसको लेकर हाल ही में एनटीसीए ने बैठक भी थी। इसके बाद सोमवार को इसके आदेश जारी कर दिए हैं। ऐसे में रामगढ़ विषधारी अभयारण्य प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बन गया है। अब इसके नोटिफिकेशन के लिए केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा।
1050 वर्ग किलोमीटर का रहेगा क्षेत्रफल
रामगढ़ टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 1050.12 वर्ग किलोमीटर रहेगा। इसमें रामगढ़ का पूरा क्षेत्र, बूंदी टेरिटोरियल में डाबी, नैनवां व हिण्डोली रेंज, भीलवाड़ा के दो वनखंड जलिन्द्री व बांका को शामिल किया है। इसमें 309 वर्ग किमी कोर व 741 वर्ग किमी बफर क्षेत्र रहेगा।
प्रदेश का दूसरा बड़ा टाइगर रिजर्व होगा रामगढ़
क्षेत्रफल की दृष्टि से रामगढ़ अभयारण्य प्रदेश का दूसरा बड़ा टाइगर रिजर्व होगा। इससे पहले रणथम्भौर 1734 वर्ग किलोमीटर, मुकुंदरा 759.99 वर्ग किलोमीटर और सरिस्का 881 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में है। वहीं रामगढ़ का 1050.12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र टाइगर रिजर्व में रहेगा।
बूंदी के पर्यटन को लगेंगे पंख
रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य में बाघ की दहाड़ गूंजने के बाद इस क्षेत्र सहित बूंदी में पर्यटन को पंख लग जाएंगे। बूंदी का पर्यटन क्षेत्र में अपना एक नाम है। देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां के गौरवशाली इतिहास की झलक देखने को आते हैं। बाघ आने पर इस क्षेत्र में एक और आकर्षण जुड़ जाएगा। इससे ट्यूरिस्ट सर्किट विकसित होने की संभावना भी बनेगी।
बाघों का रहा आना-जाना, मुकुंदरा को भी बसाया
वर्ष 1990 तक यहां बाघों का बसेरा माना जाता था। इसके बाद बाघों का रणथम्भौर बाघ परियोजना से आना जाना बना रहा। वर्ष 2004 में ब्रोकन टेल बाघ के पगमार्क मेज नदी व रामगढ़ महल के आसपास दिखाई दिए थे। यहां से यह बाघ रेंज जवाहर सागर में सेल्जर क्षेत्र में पहुंच गया। जहां से दामोदरपुरा, खरली बावड़ी होते हुए दर्रा की नाल तक पहुंच गया था, जहां ट्रेन से कट कर इसकी मौत हो गई थी। इसके बाद 20 अक्टूबर 2013 को टी 62 रामगढ़ अभयारण्य पहुंच गया। यहां वह करीब दो साल तक रुका। इसके बाद वापस रणथम्भौर चला गया। इसके बाद 6 दिसम्बर 2017 को बाघ टी 91 ने अभयारण्य में कदम रखा, लेकिन इसे मुकुंदरा को आबाद करने के लिए ले जाया गया। मुकुंदरा को पहला बाघ देने का श्रेय भी रामगढ़ अभयारण्य को ही जाता है। इसके बाद 29 जून 2020 को बाघ टी 115 के पगमार्क यहां देखे गए। इस बाघ का मूवमेंट अब तक रामगढ़ में ही बना हुआ है।
इन वन्यजीवों का है यहां साम्राज्य
रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में बाघ के साथ ही बघेरा, भालू, जरख, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, कबर बिज्जू, सीवेट, नेवला, सेही, सांभर, चीतल, नीलगाय सहित कई वन्यजीव मिलते हैं। इसके अलावा यहां के वाटर प्वाइंट पर प्रवासी पक्षियों का कलरव भी सुनाई देता है। हर साल वाटर प्वाइंट पर इनकी गणना की जाती है। इसके अलावा बूंदी में मोरों की तादाद भी हाड़ौती में सर्वाधिक मानी जाती है, लेकिन इनका शिकार भी यहां अधिक होता है।
दर्जनों प्राकृतिक गुफाएं बाघों के अनुकूल बनाती है रामगढ़ को
बूंदी. शेर गुफाओं में रहते हैं। यह बात बचपन से ही किताबों में छोटे बच्चों को पढ़ाई जाती है, लेकिन वर्तमान में जंगलों की बात करें तो प्राकृतिक गुफाएं अब गिनी चुनी जगहों पर ही दिखाई देती है। लेकिन रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में आज भी इस तरफ की प्राकृतिक गुफाएं कई जगहों पर है। बाघों को रामगढ़ के भाने का एक कारण यह भी है। बाघों को यहां प्राकृतिक गुफाएं मिलने से सुरक्षा और बैठने की सुविधा मिल जाती है। रामगढ़ में इस तरह की दर्जनों गुफाएं है।
कमरे से भी बड़़ी हैं गुफा
पीपुल्स फॉर एनीमल्स के बूंदी प्रभारी वि_ल कुमार सनाढ्य ने बताया कि कई गुफाएं एक सामान्य कमरे से भी बड़ी साइज की है। इसमें गुमानबावड़ी के पास करीब 200 मीटर लम्बाई की 7 गुफाएं हैं। गोवर्धन के पहाड़ व अजीतगढ़ के पास मिली गुफाएं 15 गुणा 20 की, तलवास के पास गढ़ के पीछे गुफा 17 गुणा 22 की है।
यहां पर है गुफाएं
रामगढ़ में गुमानबावड़ी, तलवास के पास गढ़ के पीछे, गोवर्धन के पहाड़, अजीतगढ़, बांद्रापोल पर इस तरह की कई गुफाएं हैै। यह गुफाएं बाघों व अन्य वन्यजीवों की शरणस्थली बनी हुई है। ट्रेकिंग में कई बार इनमें बाघ की मौजूदगी के निशान मिले हैं।
बांद्रापोल में भी है कई छोटी-मोटी गुफाएं
बाघों के लिए रामगढ़ में जन्नत कहे जाने वाले बांद्रापोल में कई छोटी-मोटी गुफाएं बताई जाती है। यह गुफाएं दाहिने तरफ अधिक है। इसके चलते यहां दिनभर छाया बनी रहती है। इसके साथ ही दोनों तरफ पहाड़ी होने और क्षेत्र में काफी शीतलता होने के साथ ही वन्यजीवों की मौजूदगी के चलते बाघों को यह स्थान अधिक पसंद आता है।
राजस्थान की नम्बर एक टाइगर रिजर्व बनेगी रामगढ़
बूंदी. खेल राज्यमंत्री एवं हिण्डोली विधायक अशोक चांदना ने कहा कि रामगढ़ विषधारी अभयारण्य राजस्थान की नम्बर वन टाइगर रिजर्व बनेगा। इसके लिए सभी को बधाई। इसके लिए लगातार प्रयास जारी रहेंगे। सरकार के स्तर पर इसके विकास के लिए कतई कमी नहीं आने देंगे। पिछले दिनों अभयारण्य क्षेत्र का दौरा किया था। यहां चल रही तैयारियों के बारे में बारीकी से जायजा लिया। इस सेंचुरी का जंगल आज भी लोगों को दूर से आकर्षित करता है। सेंचुरी बाघों के लिए पूरी तरह से मुफीद हैं।
लोकसभा अध्यक्ष बिरला के प्रयासों से जारी हुआ पत्र
बूंदी. बूंदी का रामगढ़ विषधारी अभयारण्य सदियों से वन्यजीवों की शरणस्थली और उनका प्राकृतिक आवास रहा है। इस अभयारण्य के सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व और कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से जुड़े होने के कारण यह बाघों की दोनों टाइगर रिजव्र्स के बीच मूवमेंट का सुरक्षित प्राकृतिक गलियारा सिद्ध हुआ है। पूर्व में रणथम्भौर से बाघ टी-91 और टी-62 यहां आए। वर्तमान में विगत करीब एक वर्ष से टी-115 की रामगढ़ अभ्यारण्य में मूवमेंट बनी हुई है।
बाघों की मूवमेंट और यहां उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए बरसों से इसे टाइगर रिजर्व घोषित किए जाने की मांग की जा रही थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी इसको लेकर गंभीर थे। इसी संबंध में गत 27 मई को राजस्थान के वन सचिव ने एनटीसीए को पत्र लिखकर इस क्षेत्र को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किए जाने की सहमति के लिए आग्रह किया था। एनटीसीए की तकनीकी समिति की गत 21 जून को हुई बैठक के बाद सैद्धांतिक सहमति की स्वीकृति दिए जाने की सिफारिश के साथ फाइल केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री को भेज दी गई थी। लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने इस बारे में मंत्री से बात की जिसके बाद फाइल पर सहमति मिलने पर एनटीसीए ने सोमवार को सैद्धांतिक स्वीकृति का पत्र जारी कर दिया। अब राजस्थान सरकार की ओर से इसे टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया जाएगा। उसके बाद यहां प्रे-बेस तैयार करने, एनक्लोजर बनाने, टाइगर रिजर्व की फेंसिंग आदि कार्य पूरे होने के बाद बाघ शिफ्ट किए जाने से संबंधित प्रक्रिया शुरू होगी।
& रामगढ़ में गुफाएं हैं, लेकिन कभी इनकी गिनती नहीं की गई है। इसी के कारण यहां बाघ आराम से रहते हैं।
धर्मराज गुर्जर, रेंजर, जैतपुर रेंज

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