Udaipur News: मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ (Mahendra Singh Mewar) के निधन के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ का पगड़ी दस्तूर हो गया है। रीति-रीवाज के अनुसार धूणी दर्शन को लेकर चल रहा विवाद भी तीसरे दिन खत्म हो गया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के हस्तक्षेप के बाद धूणी दर्शन पर सहमति बनी और 5 लोगों ने दर्शन किए। महेंद्र सिंह मेवाड़ के बाद ‘महाराणा’ की पदवी विश्वराज सिंह (Vishvaraj Singh Mewar) को मिली है। इधर, अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने बड़े पापा महेंद्र सिंह मेवाड़ के अंतिम संस्कार में नहीं जाने को लेकर पहली बार चुप्पी तोड़ी है।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ (Lakshyaraj Singh Mewar) से जब पत्रकार ने पूछा कि किस वजह से आप अपने बड़े पापा के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचे। इस सवाल पर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ कुछ सेंकड तक चुप्पी साध इमोशनल होते हुए बोले- ‘मेरे संस्कार और निजी सोच है कि ऐसी चीजों को लेकर नहीं आना चाहता। मुझे पता है कि इस बात को लेकर मेरी खूब आलोचना की गई, अगुलियां उठाई गई, अभद्र शब्द बोले गए। बहुत सारे लोगों ने इस सोच-विचार पर मुझे गालियां दी और मैंने स्वीकार की।
‘दादी के निधन पर बडे पिता ने बताया’
उन्होंने आगे कहा कि आप उस नस पर अंगुली रख रहे है जो कि मेरे लिए बहुत ही दर्द का विषय है, मन बहुत आहत होता है। क्योंकि इसके कारण बहुत ही घटिया है और बिल्कुल ही सर-पैर कै है। एक बात कहना चाहूंगा कि जब मेरी दादी का निधन हुआ था, तब मेरे बड़े पिता ने सबसे पहले मेरे पिता को इकतला किया था। हमारे झगड़े तब भी थे, तभी भी अदालतों में केस चल रहे थे। चार लोगों को भेज मेरे पिता को इकतला दी। मैं और पिता श्री (अरविंद सिंह मेवाड़) अंतिम संस्कार में पहुंचे। मेरे बड़े पिता ने अपने छोटे भाई को नियमित भाव से इकतला पहुंचायी।
जानें क्या है विवाद?
बता दें कि मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के बीच संपत्ति विवाद से जुड़ा है। इसकी शुरुआत साल 1984 में हुई जब विश्वराज सिंह मेवाड़ के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ अपने पिता महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के खिलाफ कोर्ट चले गए थे। इससे नाराज होकर भगवत सिंह ने अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया। महेंद्र मेवाड़ को प्रॉपर्टी और ट्रस्ट से बाहर कर दिया गया।