बड़ा सवाल…हरेक सड़क की जांच कराएं तो पता चले हकीकत यह है कि पिछले काफी समय से शहर में सड़कों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी हर बार चुप्पी साध लेते हैं। नीचे से लेकर ऊपर तक कमीशन का खेल छिपा होने के कारण कोई सुनवाई भी नहीं होती है। ऐसे में यह खेल बंद होने के बजाय लगातार चलता ही रहता है।
35 से 40 प्रतिशत तक बिलो रेट, इसलिए गुणवत्ता खराब नगर सुधार न्यास से लेकर नगर निगम हो या सार्वजनिक निर्माण विभाग या फिर जिले का कोई अन्य निकाय, हर जगह बिलो रेट पर टेंडर लेने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। यह परंपरा बंद होने के बजाय अब और भी बढ़ती जा रही है। शहर में तो टेंडरों की हालत इतनी खराब है कि 35 से 40 प्रतिशत बिलो रेट पर भी टेंडर लिए जा रहे हैं। ऐसे में इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिलो रेट पर टेंडर लेने के बाद ठेकेदार काम किस हद तक सही करेगा। क्योंकि कमीशन की चेन से जुड़ा बिलो रेट पर टेंडर का खेल भी सड़कों की गुणवत्ता खराब करने का जिम्मेदार है।