नहीं किए अनुबंध सरकारी निर्देशों के अनुसार स्वयं सहायता समूह एवं समिति को पोषाहार वितरण का कार्य देने से पूर्व जिलास्तर पर अनुबंध किए जाने का प्रावधान है, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय प्रारंभिक शिक्षा की ओर से स्वयं सहायता समूहों को कार्य आवंटित करते समय अनुबंध नहीं किया गया। इसके पीछे मंशा उन्हें अनुचित रूप से लाभ देना माना जा रहा है। इसके अलावा समूहों को कार्य क्षेत्र आवंटित करने से पूर्व अमानत राशि नहीं ली गई, जो वित्तीय नियमों के विपरीत है। सूत्रों का दावा है कि कई ऐसे स्वयं सहायता समूहों को कार्य का आवंटन किया गया है, जो सहकारिता विभाग में रजिस्टर्ड तक नहीं हैं।
मनमाने तरीके से किया कार्य आवंटन नियमानुसार एक समिति या समूह को अधिकतम 10 विद्यालयों में भोजन पकाने का कार्य दिया जा सकता है। इससे अधिक विद्यालयों में यह कार्य विशेष परिस्थितियों में दिया जा सकता है, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने बिना परिस्थितियों का उल्लेख किए दस से अधिक विद्यालयों को कार्य आवंटित कर दिया। जिले में ऐसे कई समूह भी हैं, जिनको कार्यक्षेत्र के विपरीत जाकर अन्य ग्राम पंचायत में संचालित विद्यालयों में भोजन पकाने का कार्य दिया है। कई ऐसे समूह भी हैं, जो जिनके शिकायत के आधार पर कार्यादेश निरस्त हो चुके हैं। ऐसे समूहों पर लाखों रुपए बकाया चल रहा हैं, लेकिन उनसे आज तक राशि वसूल नहीं की गई है।
ऑडियो हुआ वायरल, फिर भी चुप्पी जानकारी में आया है कि जिला शिक्षा अधिकारी एवं अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से अग्रिम भुगतान के एवज में समिति एवं समूहों से राशि ली जाती है। इसका एक ऑडियो भी वॉट्सएप पर वायरल हो चुका है। इसमें अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी के लिए 60 हजार रुपए की मांगने की बात सामने आ रही है। इसके बाद भी अभी तक इस मामले में कुछ नहीं हो सका है। यह खेल जिले में लंबे समय से चल रहा है, लेकिन उच्चाधिकारियों की अनदेखी के चलते यह मामला ठंडे बस्ते में है। खास बात यह है कि यह मामला जिले के उच्चाधिकारियों के साथ विभाग के तमाम बड़े अधिकारियों की निगाह में है। इसके बाद भी सभी चुप्पी साधे बैठे हैं।
दो गाइड लाइन में उलझे विभाग सूत्रों का कहना है कि मिडडे मील का भुगतान और स्वयं समूह रखने में दो गाइड लाइन विभागीय उलझन का कारण बनी हुई हैं। पहले वर्ष 2010 में स्कूलों में खाना देने का कार्य जिला परिषद के माध्यम से होता था। यह कार्य जिला परिषद की ओर से निकलने वाली सालाना पत्रिका की गाइड लाइन के मुताबिक किया जाता था, जबकि वर्ष 2014 में आयुक्त मिडडे मील ने इसके लिए नई गाइड लाइन जारी कर दी। अब शिक्षा विभाग भुगतान तो पुरानी जिला परिषद की गाइड लाइन के मुताबिक कर रहा है, जबकि स्वयं सहायता समूह रखने का कार्य वर्ष 2014 की गाइड लाइन से किया गया है। ऐसे में इससे अधिकारी भी भ्रमित हो रहे हैं।
मिड डे मील एक नजर में 420 राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय 122 राजकीय माध्यमिक विद्यालय 576 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय 628 राजकीय प्राथमिक विद्यालय 34 मदरसा 1780 कुल विद्यालय
126655 नामांकन कक्षा 1 से 5 तक 58703 नामांकन कक्षा 6 से 8 तक 185358 कुल नामांकित छात्र-छात्रा इनका कहना है सारा कार्य नियमानुसार ही किया गया है। वर्ष 2010 की गाइड लाइन के अनुसार ही यह भुगतान किया गया है। यह टीओ साब के यहां से मार्क हुआ है। राशि वापस आ रही है। आगे भी कार्रवाई चल रही है। इसमें कुछ लॉकडाउन का फर्क पड़ गया था। नियमों की अनदेखी जैसी कोई बात नहीं है।
– साहब सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय प्रारंभिक शिक्षा