बच्चे ने कहा मेरी किडनी खराब हो गई है तो डीएम ने दिया यह तोहफा
बिनौली निवासी निक्की ने डीएम पवन कुमार से की मुलाकात
मदन पब्लिक स्कूल बिनौली में पढ़ाई कर रहा है निक्की
डीएम ने बच्चे को दिया आरओ और मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता के लिए लिखा पत्र
बच्चे ने कहा- मेरी किडनी खराब हो गई है, डीएम ने दिया यह तोहफा
बागपत। वैसे तो सभी सरकारी अधिकारी अपना काम पूरी इमानदारी से निभाते हैं, लेकिन इससे हटकर समाज के लिए कुछ करता है, उसे लोग दिल से सलाम करते हैं। कुछ ऐसा ही काम बागपत के डीएम ने भी किया है। उनसे जब एक बच्चे ने कहा कि उसकी किडनी खराब है तो उन्होंने उसे बेहतरीन तोहफा दिया। इसके बाद बच्चे के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
शिक्षा के बारे में ली जानकारी बिनौली निवासी निक्की कुमार कश्यप पुत्र लोकेश कुमार शुक्रवार को डीएम पवन कुमार से मिलने कलक्ट्रेट पहुंचा। उसने बताया कि पिछले काफी समय से उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। उसकी एक किडनी खराब है। यूरिन भी पाइप के द्वारा आ रहा है। डीएम ने उसकी स्थिति को देखकर उससे मधुर व्यवहार के साथ स्कूली शिक्षा के बारे में जानकारी ली। उसने बताया कि वह कक्षा छह का छात्र है।
सीएमओ को दिए निर्देश मदन पब्लिक स्कूल बिनौली में निशुल्क पढ़ाई कर रहा है। इसके बाद उन्होंने उसे आरओ दिया। साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को उपचार संबंधित राहत देने के निर्देश दिए। उन्होंने बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा होने के लिए भी दुआ की। डीएम ने उसकी आर्थिक सहायता के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से सहायता के लिए भी पत्र लिखा है।
बच्चों की फीस करवाई माफ इसके अलावा जिलाधिकारी के पास एक और मामला आया। गेटवे इंटरनेशनल स्कूल में शशि पत्नी दयानंद आर्य के दो बच्चे आर्यन व अवनी आर्य पढ़ रहे हैं। बच्चों के पिता की मौत होने के बाद आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। इसको देखते हुए डीएम ने गेटवे इंटरनेशनल स्कूल से बच्चों की फीस माफ करने का आदेश दिया। साथ ही शशि को विधवा पेंशन योजना का लाभ देने के आदेश दिए।
गजल लिखते हैं डीएम आपको बता दें कि डीएम पवन कुमार की देशभर मेें खास पहचान है। प्रतिष्ठित कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर पुरस्कार से नवाजे जा चुके पवन कुमार साहित्य की दुनिया में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वाबस्ता और आहटें उनके प्रमुख गजल संग्रह हैं। वह वर्ष 2008 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उनके पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही थे जबकि माता गृहणी हैं। वह लखनऊ, बरेली और गाजियाबाद में एसडीएम रह चुके हैं। उनके परिवार में पहले छोटे भाई ने सिविल सर्विसेज की तैयारी की थी। उन्हीं की प्रेरणा और सुझाव पर पवन कुमार ने तैयारी शुरू की और परीक्षा पास की। किताबों से उन्हें बेहद प्यार है। गजल संग्रह वाबस्ता को साल 2013 का जयशंकर प्रसाद पुरस्कार दिया जा चुका है। वह सहारनपुर और बदायूं के डीएम रह चुके हैं।
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