हाई कोर्ट में दाखिल हुई थी विशेष याचिका
इस पूरे मामले की शुरुआत हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार हुई। इसी गांव के रहने वाले गुलशार नाम के एक आदमी ने जुलाई माह में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि मुतवल्ली ने तालाब की सरकारी जमीन पर मस्जिद का निर्माण कर लिया है। गुलशार ने अपनी याचिका में ये भी कहा कि तालाब की जमीन पर मस्जिद का निर्माण करके मुतवल्ली ने सरकारी संपत्ति का अतिक्रमण किया है। इसलिए सरकारी संपत्ति पर किए गए अतिक्रमण को हटाया जाना जनहित में आवश्यक है। हाईकोर्ट ने इस याचिका को सुनने के बाद 90 दिन के अंदर पूरे मामले का निपटारा करने के आदेश स्थानीय प्रशासन के दिए थे। ये आदेश बागपत जिलाधिकारी को पहुंचे तो उन्होंने तहसीलदार को टीम के साथ मौके पर जाकर नपाई करने के आदेश दिए। मौके पर नपाई करने वाली टीम ने पाया कि मस्जिद तालाब की जमीन पर ही बनी हुई है। इस आधार पर मस्जिद को ध्वस्त करने के आदेश जारी कर दिए गए। आदेशों के खिलाफ ग्रामीणों में नाराजगी
तहसीलदार अभिषेक कुमार की अदालत से यह आदेश जारी हुआ और मुतवल्ली पर 4.2 लख रुपए का जुर्माना लगाया गया। मस्जिद के निर्माण को गिरवाने के हर्जाने के खर्च के रूप में पांच हजार रुपये का अतिरिक्त दंड भी सुनाया गया। अब इस मस्जिद को गिरवाने के आदेशों के बाद ग्रामीणों में गुस्सा है। गांव में तनाव की स्थिति है। लोग इस आदेश के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं। तहसीलदार ने अपने आदेशों में कहा है की मस्जिद को गिराने के लिए एक कमेटी बनेगी और वही कमेटी इस कार्रवाई के समय तय करेगी। इसके बाद मस्जिद को गिराने की कार्रवाई की जाएगी। इसी बीच अब ग्रामीणों ने तहसीलदार से बड़ी अदालत यानी जिलाधिकारी की अदालत में इन आदेशों के खिलाफ याचिका दाखिल कर दी है।