प्रशासन की जांच में एक ऐसे वृद्धाश्रम का फर्जीवाड़ा पकड़ा है, जहां शासन से अनुदान हासिल करने के लिए सौ रुपए रोजाना मजदूरी पर वृद्ध महिलाओं को रखा गया था। इन्हें निराश्रित वृद्ध बताया जाता था। जांच में खुलासा हुआ कि अनुदान हासिल करने के लिए ये संस्था सिर्फ कागजों में ही संचालित हो रही थी। जांच के दौरान मोहल्ले से महिलाओं को सौ रुपए मजदूरी देने का लालच देकर यहां रखा जाता था। वृद्धाश्रम में फर्जी कर्मचारियों की नियुक्ति भी दशाई गई है। एसडीएम की अगुआई में पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम ने छापामार कर कागजात जब्त किए हैं।
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दरअसल कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम घनश्याम धनगर ने इस फर्जी वृद्धाश्रम का गड़बड़झाला पकड़ा। अधिकारियों ने नवलपुर कपड़ना, महाराष्ट्र द्वारा संचालित बृंदावन मां वृद्धा श्रम का शुक्रवार को औचक निरीक्षण किया था। जांच दल में सामाजिक न्याय विभाग के उपसंचालक आरएस गुंडिया, मुख्य नगर पालिका अधिकारी कुशल सिंह समेत पुलिस बल शामिल था। यहां सिर्फ दो वृद्ध महिलाएं मिलीं। पूछताछ में पता.चला है कि उच्हें भी सी रुपए, मजदूरी देकर यहां लाया गया था। वे दो महीने से रोजाना सुबह नौ बजे यहां आती हैं और शाम पांच बजे घर जाती हैं। इसके लिए मोहल्ले की 30-35 महिलाओं को पाबंद किया गया था। महिलाएं रोटेशन के हिसाब से वृद्धाश्रम आती थीं। वृद्धाश्रम के रिकॉर्ड में 50 वृद्ध महिलाएं दर्ज थीं।
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कोई पूछे तो बताना हम वृद्धाश्रम में रहते हैं
कार्रवाई के दौरान जब मौके पर मौजूद शशिकांत पटेल और कमले गोले को थाना भेजा इस दौरान यहां बतौर निराश्रित बुजुर्ग बताकर लाई गई महिलाओं ने बताया कि पहले भी जांच दल निरीक्षण करने आया था तब संस्था के लोगों ने 35 महिलाओं को बुलाकर कहा था कि कोई पूछे तो कहना हम यही रहते हैं।
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बड़वानी एसडीएम, घनश्याम धनगर ने बताया कि नवलपुरा स्थित है वृंदावन मां वृद्धाश्रम में निरीक्षण के दौरान कई अनियमितताएं मिलीं। मौके पर सिर्फ दो महिलाएं मिलीं थीं। वृद्धाश्रम का रिकॉर्ड जब्त किया गया है। आश्रम संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।