एफबीआई की ओर से जारी दस्तावेजों के अनुसार, विमान का अपहरण करने वालों के सऊदी अरब के लोगों से संपर्क थे। वे अमरीका में सऊदी अरब के साथियों के साथ वे संपर्क में थे। हालांकि, इस बात का सबूत नहीं है कि साजिश में सऊदी अरब के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे या नहीं।
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अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन की ओर से दिए गए आदेश के बाद 11 सितंबर 2001 को वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की 20वीं बरसी के दौरान गत शनिवार को 16 पन्नों का यह दस्तावेज एफबीआई ने सार्वजनिक किया। इन दस्तावेजों को अब तक गोपनीय रखा गया था। इसमें एफबीआई की ओर से वर्ष 2015 में लिए उस शख्स का इंटरव्यू के कुछ अंशों का जिक्र भी है, जो अमरीका में सऊदी अरब के कुछ नागरिकों के संपर्क में था। इन्होंने ही हमले से पहले विमान अपहरणकर्ताओं को अमरीका में प्रवेश करने में मदद की थी।
दस्तावेज में 4 अप्रैल 2016 के रिकॉर्ड में बताया गया है कि उमर बयूमी, सऊदी की खुफिया एजेंसी के संभावित ऑपरेटिव का अलकायदा के उन दो आतंकियों से संपर्क में था, जो न्यूयार्क और वाशिंगटन स्थित टारगेट को हिट करने के लिए विमान के अपहरण में शामिल थे। वर्ष 2009 और वर्ष 2015 में एक गोपनीय सूत्र के साक्षात्कार के आधार पर दस्तावेजों में बयूमी और दो हाईजैकर्स नवाफ अल हाजमी और खालिद अल मिदहार के बीच संपर्क और बैठकों की बात कही गई है। ये दोनों आतंकी हमलों से करीब एक साल पहले यानी वर्ष 2000 में दक्षिणी कैलिफोर्निया आ गए थे।
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यही नहीं, दस्तावेजों में इन दोनों के लॉस एंजलिस स्थित किंग फाद मस्जिद के इमाम फहाद अल थुमैरी और सऊदी वाणिज्य दूतावास के एक अधिकारी से संपर्क की सूचना की पुष्टि भी की गई। एफबीआई की ओर से पेश किए गए दस्तावेज में बताया गया है कि सूत्र से जुड़े कुछ फोन नंबर से कई लोगों के संपर्क का संकेत मिला है। इन लोगों ने कैलिफोर्निया में रहने के दौरान हाजमी और मिदहार की मदद की। इनमें उमर बयूमी, मस्जिद का इमाम थुमैरी और इंटरव्यू देने वाला सोर्स भी शामिल है। इस सोर्स ने एफबीआई को इंटरव्यू में बताया कि उमर बयूमी सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में ऊंचे और प्रभावी पद पर था।
इसमें बाद में उमर बयूमी और मस्जिद के इमाम थुमैरी की अलवर अल अलाकी से हुई बैठकों और फोन पर बात करने की जानकारी भी सामने आई। दरअसल, अमरीका में पैदा हुआ मौलवी यमन में वर्ष 2011 में ड्रोन स्ट्राइक में मारे जाने से पहले आतंकी संगठन अलकायदा में बड़ा चेहरा बन चुका था। वैसे, एफबीआई के दस्तावेज में इस अपहरणकर्ता और सऊदी सरकार के बीच कोई संपर्क नहीं सामने आया है।