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Bangladesh में फिर शुरू हुआ छात्र आंदोलन, यूनुस सरकार को अल्टीमेटम, आखिर क्या है स्टूडेंट्स की मांग 

Bangladesh: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में फिर से छात्र आंदोलन शुरु हो गया है। छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर यूनुस सरकार को अल्टीमेटम और संविधान बदलने की मांग उठाई है।

नई दिल्लीJan 01, 2025 / 09:45 am

Jyoti Sharma

Student movement again in Bangladesh ultimatum given to Yunus government

Student movement again in Bangladesh

Bangladesh: बांग्लादेश में एक बार फिर छात्र सड़कों पर उतर गए हैं। शेख हसीना को पद से हटाने के बाद इन छात्रों ने अब मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) के नेतृत्व में चल रही अंतरिम सरकार और प्रमुख राजनीतिक दल BNP के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। छात्रों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि जुलाई और अगस्त में जिस क्रांति के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) को देश छोड़ना पड़ा, उस क्रांति की औपचारिक घोषणा की जाए। इस घोषणा में हसीना की तानाशाही सरकार को हटाने में छात्रों के योगदान और बलिदान की औपचारिक रूप से सराहना और उल्लेख किया जाए। 

आखिर चाहते क्या हैं छात्र

इन छात्रों की मांग यहीं तक सीमित नहीं है। छात्र चाहते हैं कि 1972 के शेख मुजीबवादी संविधान को खारिज कर नया संविधान बनाया जाए, जिसमें बांग्लादेश को नया नाम भी दिया जाए। इस संविधान में बांग्लादेश को इस्लामिक राष्ट्र (Islamic Country) घोषित करते हुए बांग्लादेश को नया नाम भी दिया जाए, जो कि इस्लामिक चरित्र को घोषित करता है। अपनी इस मांग के समर्थन में मंगलवार को पूरे देश से 1000 से ज्यादा बसों में हजारों की संख्या में छात्र ढाका विश्वविद्यालय के शहीद मीनार परिसर में जमा हुए। छात्रों ने अपनी मांग मानने के लिए यूनुस सरकार को 15 जनवरी तक समय दिया है।
बांग्लादेश में शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान 2024, अगस्त महीने में हो रहे छात्र आंदोलन का वीडियो

यूनुस सरकार ने दिया आश्वासन, टाला टकराव

‘भेदभाव विरोधी छात्र’ संगठन और आंदोलन से जुड़े अन्य छात्र-नागरिक समूह जैसे जातीय नागरिक समिति यूनुस सरकार से ‘जुलाई-अगस्त क्रांति की घोषणा’ की मांग करते आ रहे थे। आखिर छात्रों ने 31 दिसंबर को इसकी घोषणा के लिए शहीद मीनार पर रैली का ऐलान कर दिया। कोई रास्ता न देखते हुए यूनुस सरकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने सोमवार को इमरजेंसी प्रेस कान्फ्रेंस में छात्रों को यह आश्वासन दिया कि अंतरिम सरकार की ओर से राष्ट्रीय सहमति बनाते हुए एक क्रांति की घोषणा जारी की जाएगी। लेकिन अंतरिम सरकार ने इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की थी। इसको देखते हुए शहीद मीनार पर हुई रैली में मंगलवार को छात्रों ने यूनुस सरकार को घोषणा के लिए 15 दिन का समय दिया है। ऐसा नहीं होने पर छात्र अपनी ओर से 15 जनवरी को इसी शहीद मीनार से क्रांति की औपचारिक घोषणा कर देंगे।

अल्टीमेटम में क्या?

बांग्लादेश के लोग सुधार, एक नए संविधान और 15 जनवरी तक जुलाई क्रांति की घोषणा की मांग कर रहे हैं। इस नए संविधान का निर्माण आम चुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों के जरिए किया जाए। अगर 15 जनवरी तक क्रांति की घोषणा नहीं की गई तो छात्र फिर से सड़कों पर उतरने को मजबूर हो जाएंगे।
छात्रों का कहना है कि हम एक नया बांग्लादेश चाहते हैं। यूनुस सरकार इस फासीवादी व्यवस्था को खत्म करने के लिए जल्दी से जल्दी कदम उठाए। नहीं तो ‘24 की क्रांति के टाइगर’ इस मामले को अपने हाथ में ले लेंगे।

पाठ्य पुस्तकें बदलने की प्रक्रिया शुरू

उधर, यूनुस सरकार ने बांग्लादेश में कक्षा 3 से 12 तक बच्चों को पढ़ाई जाने पुस्तकों को बदलने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। नई पुस्तकों में बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीब पर मौजूद पाठ्य सामग्री को हटाया जा रहा है और छात्र आंदोलन पर नए पाठ जोड़े जाएंगे। रवींद्रनाथ टेगौर और नजरुल इस्लाम जैसे कवियों की रचनाएं भी पाठ्यपुस्तकों से हटाई जा रही हैं।

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