आखिर चाहते क्या हैं छात्र
इन छात्रों की मांग यहीं तक सीमित नहीं है। छात्र चाहते हैं कि 1972 के शेख मुजीबवादी संविधान को खारिज कर नया संविधान बनाया जाए, जिसमें बांग्लादेश को नया नाम भी दिया जाए। इस संविधान में बांग्लादेश को इस्लामिक राष्ट्र (Islamic Country) घोषित करते हुए बांग्लादेश को नया नाम भी दिया जाए, जो कि इस्लामिक चरित्र को घोषित करता है। अपनी इस मांग के समर्थन में मंगलवार को पूरे देश से 1000 से ज्यादा बसों में हजारों की संख्या में छात्र ढाका विश्वविद्यालय के शहीद मीनार परिसर में जमा हुए। छात्रों ने अपनी मांग मानने के लिए यूनुस सरकार को 15 जनवरी तक समय दिया है।
यूनुस सरकार ने दिया आश्वासन, टाला टकराव
‘भेदभाव विरोधी छात्र’ संगठन और आंदोलन से जुड़े अन्य छात्र-नागरिक समूह जैसे जातीय नागरिक समिति यूनुस सरकार से ‘जुलाई-अगस्त क्रांति की घोषणा’ की मांग करते आ रहे थे। आखिर छात्रों ने 31 दिसंबर को इसकी घोषणा के लिए शहीद मीनार पर रैली का ऐलान कर दिया। कोई रास्ता न देखते हुए यूनुस सरकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने सोमवार को इमरजेंसी प्रेस कान्फ्रेंस में छात्रों को यह आश्वासन दिया कि अंतरिम सरकार की ओर से राष्ट्रीय सहमति बनाते हुए एक क्रांति की घोषणा जारी की जाएगी। लेकिन अंतरिम सरकार ने इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की थी। इसको देखते हुए शहीद मीनार पर हुई रैली में मंगलवार को छात्रों ने यूनुस सरकार को घोषणा के लिए 15 दिन का समय दिया है। ऐसा नहीं होने पर छात्र अपनी ओर से 15 जनवरी को इसी शहीद मीनार से क्रांति की औपचारिक घोषणा कर देंगे।
अल्टीमेटम में क्या?
बांग्लादेश के लोग सुधार, एक नए संविधान और 15 जनवरी तक जुलाई क्रांति की घोषणा की मांग कर रहे हैं। इस नए संविधान का निर्माण आम चुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों के जरिए किया जाए। अगर 15 जनवरी तक क्रांति की घोषणा नहीं की गई तो छात्र फिर से सड़कों पर उतरने को मजबूर हो जाएंगे। छात्रों का कहना है कि हम एक नया बांग्लादेश चाहते हैं। यूनुस सरकार इस फासीवादी व्यवस्था को खत्म करने के लिए जल्दी से जल्दी कदम उठाए। नहीं तो ‘24 की क्रांति के टाइगर’ इस मामले को अपने हाथ में ले लेंगे।
पाठ्य पुस्तकें बदलने की प्रक्रिया शुरू
उधर, यूनुस सरकार ने बांग्लादेश में कक्षा 3 से 12 तक बच्चों को पढ़ाई जाने पुस्तकों को बदलने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। नई पुस्तकों में बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीब पर मौजूद पाठ्य सामग्री को हटाया जा रहा है और छात्र आंदोलन पर नए पाठ जोड़े जाएंगे। रवींद्रनाथ टेगौर और नजरुल इस्लाम जैसे कवियों की रचनाएं भी पाठ्यपुस्तकों से हटाई जा रही हैं।