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H-1B Visa पर अमेरिका में क्यों छिड़ा है विवाद? सबसे ज्यादा भारत को होता है फायदा 

H-1B Visa मुद्दे पर बीते दो दिन से अमेरिका में विवाद छिड़ा हुआ है। इस विवाद में दोनों तरफ डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के ही साथी और समर्थक हैं। एलन मस्क इस वीज़ा के पक्ष में हैं तो निक्की हेली समेत ट्रंप के कई समर्थक इसके विरोध में हैं।

नई दिल्लीDec 30, 2024 / 05:18 pm

Jyoti Sharma

H 1B Visa Immigration Policy of USA Donald Trump Elon Musk beneficial for India

H 1B Visa Immigration Policy of USA Donald Trump Elon Musk beneficial for India

H-1B Visa पर विवाद अब गहराता जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति अब इस वीज़ा और अप्रवासन नीति पर ग्रहण लगा सकती है। लेकिन इसके बीच एलन मस्क (Elon Musk) आ रहे हैं। अमेरिका में विवाद इसी बात का है कि डोनाल्ड ट्रंप जिस आधार पर अमेरिका को फर्स्ट बनाने की जुगत में है उस आधार पर एलन मस्क पांव जमाकर खड़े हो गए हैं। इसका नतीजा ये रहा कि डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) तक को अब इस वीज़ा पर अपना रुख बदलना पड़ा है उनका ताजा बयान तो यही बात कह रहा है। हम आपको यही बता रहे हैं कि आखिर H-1B वीज़ा क्या है जिस पर इतना विवाद छिड़ा हुआ है और इससे भारत को कैसे फायदा पहुंचता है। 

H-1B Visa पर ट्रंप का बदल गया रुख

दरअसल वीज़ा पर विवाद को लेकर ट्रंप का आज बयान जारी हुआ जिसमें ट्रंप ने कहा कि वे H-1B वीजा में भरोसा करते हैं, उनकी कई कंपनियों में ऐसे कर्मचारी हैं जो इस वीज़ा के तहत अमेरिका में आए हैं। खुद उन्होंने भी कई बार इसका इस्तेमाल किया।
तो ये रहा ट्रंप का ताजा बयान जो उनके इस मुद्दे पर जाने-माने रुख से काफी अलग है। डोनाल्ड ट्रंप इस वीज़ा और अप्रवासन नीति के खिलाफ रहे हैं और इसी के दम पर वो ये चुनाव लड़े। कई चुनावी मंचों से उन्होंने खुले तौर पर इस वीज़ा और अप्रवासन नीति को बदलने की बात कही थी। इसके ही आधार पर वो अमेरिका फर्स्ट नीति का प्रचार कर रहे हैं। 2016 में ट्रंप ने इस कार्यक्रम की निंदा भी की थी। तब कहा गया था कि कंपनियां अमेरिकी कामगारों की जगह कम वेतन वाले बाहर के कर्मचारियों को रख रही थीँ। साल 2020 में जब कोरोना काल आया तब अमेरिका ने अपने इस नीति से संबंधित नियम और कड़े कर दिए थे। 
सिर्फ इतना ही नहीं जिस आव्रजन नीति और H-1B Visa के समर्थन के लिए ट्रंप का आज बयान आया है, उसी आव्रजन नीति पर डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव से पहले जनवरी के महीने में एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में कहा था कि अगर कोई कॉलेज से निकला ग्रेजुएट है, तो डिप्लोमा के हिस्से के तौर पर अमेरिका में रहने लायक होने के लिए अपने आप ही ग्रीन कार्ड मिल जाना चाहिए। 

क्या है H-1B Visa 

दरअसल अमेरिका का H-1B Visa विदेशों के कुशल कामगारों को दिया जाता है जो अमेरिका में आकर नौकरी करना चाहते हैं। ये वीज़ा टैलेंटेड विदेशी लोगों को अमेरिका में आने की परमिशन देता है। इस वीज़ा से सबसे ज्यादा फायदा भारतीयों को मिलता है। क्योंकि इस वीज़ा पर अमेरिका जाने वाले लोगों की संख्या में भारतीय सबसे ऊपर हैं। आंकड़ों के मुताबिक 2023 में अमेरिका की तरफ से जारी किए गए 386,000 H-1B वीज़ाओं में से 72.3% वीज़ा भारतीय नागरिकों को मिले। 2021 में, भारतीय पेशेवरों को 74% H-1B वीज़ा मिले। H-1B वीज़ा का सबसे बड़ा हिस्सा भारतीयों को मिलता है, जिससे वे अमेरिका में उच्च-कुशल नौकरियों में कार्यरत होते हैं।

भारत को क्या फायदा मिलता है

1- हर साल अमेरिका में भारतीय IT और तकनीकी कंपनियों से लाखों आवेदनों का बड़ा हिस्सा H-1B वीज़ा के लिए होता है।

2- बड़ी टेक कंपनियां (जैसे Google, Microsoft, Meta, और Amazon) भारतीय H-1B धारकों को प्राथमिकता देती हैं।
3- 2023 में H-1B वीज़ा पर काम करने वाले भारतीय पेशेवरों में से अधिकांश आईटी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में कार्यरत थे।

4- 2022 में भारत ने $100 बिलियन से ज्यादा का रेमिटेंस (विदेशी मुद्रा प्रवाह) प्राप्त किया, जिसमें बड़ा हिस्सा अमेरिका से आया था।
5- H-1B वीज़ा धारक भारतीयों में कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में उच्च स्तर पर कार्यरत हैं।

6- इस वीज़ा पर अमेरिका जाने वाले भारतीय भारत में रह रहे अपने परिवारों को धन भेजते हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलता है।
7- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने से भारतीय पेशेवरों का नेटवर्क फैल जाता है, जिससे भारत के व्यापार और उद्योग को फायदा मिलता है। 

8- H-1B वीज़ा धारक लोग अमेरिकी विश्वविद्यालयों और रिसर्च सेंटर्स में योगदान देते हैं, जिससे भारत-अमेरिका के बीच शैक्षणिक सहयोग बढ़ता है।
9- इसे देखते हुए हाल ही में जो बाइडेन के कार्यकाल में अमेरिका ने H-1B वीज़ा नियमों में ढील दी है, जिससे भारतीय पेशेवरों को और ज्यादा मौके मिलने के रास्ते खुल गए हैं। 

क्यों छिड़ा है विवाद?

आव्रजन नीति और H-1B वीजा पर ये विवाद शुरू हुआ जब डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के श्रीरामकृष्णन को AI नीति का प्रमुख घोषित किया था। इससे राइट विंग में खलबली मच गई। निक्की हेली, लॉरा लूमर जैसे नेता इसे अमेरिका फर्स्ट का विरोध तक कहने लगे। जिसके बाद एलन मस्क इस H-1B वीज़ा के सपोर्ट में खुलकर उतर आए। उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका में इतने प्रतिभाशाली लोगों की संख्या बहुत कम है। वे कानूनी तौर पर जो इमिग्रेशन पॉलिसी है उसके आधार पर ही टॉप 0.1% लोगों को अमेरिका में लाने की बात कह रहे हैं। वहीं उन्होंने ये भी कह दिया कि वे खुद H-1B वीजा के जरिए ही अमेरिका में आए हैं, वो मरते दम तक इस वीज़ा के समर्थन के लिए लड़ेंगे। जिसके बाद ये विवाद और ज्यादा बढ़ गया।  
दरअसल H-1B Visa पर टेस्ला CEO एलन मस्क और समर्थकों का कहना है कि इससे अमेरिका के ही विकास में योगदान मिलेगा लेकिन इसके आलोचकों का कहना है कि इससे अमेरिका विदेशी श्रमिकों पर ही निर्भर रह जाएगा और अमेरिका के नागरिकों के लिए अवसर कम से कम हो जाएंगे। 

भारत के अलावा और किन देशों को पहुंचता है फायदा 

बता दें कि भारत के अलावा चीन, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और कनाडा को इस वीज़ा से लाभ मिलता है। चीन के 12-13% लोग H-1B वीज़ा धारक हैं। 

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