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अलवर

अब शिक्षा और हुनर के सहारे लिख रहे इबारत

अलवर . छोटी उम्र में नादानी में अपराध कर चुके युवा अब शिक्षा और हुनर के जरिए नई इबारत लिख रहे हैं। जोश व जुनून में अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद अब अपराध के कलंक को शिक्षा के जरिए धोना चाहते हैं। ताकि जीवन में कुछ करके दिखा सकें। जी हां अलवर के हसन खा मेवात नगर में संचालित संप्रेक्षण गृह में कुछ किशोर ऐसे है जो यहां रहकर अलग- अलग कक्षाओं की परीक्षा दे रहे हैं, साथ ही आईटीआई जैसे डिप्लोमा भी कर रहे हैं।

अलवरMay 02, 2023 / 11:26 am

jitendra kumar

अब शिक्षा और हुनर के सहारे लिख रहे इबारत

अब शिक्षा और हुनर के सहारे लिख रहे इबारत

इतना ही नहीं ये किशोर पोस्टर लेखन, पेटिंग सहित अन्य प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीत कर अपनी प्रतिभा भी दिखा रहे हैं। इसके लिए इन किशोरों को पुरस्कृत भी किया जाता है। इससे यहां रह रहे दुसरे किशोरों को भी प्रेरणा मिलती है। वह भी प्रतियोगिताओं में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह में बाल अपचारी बच्चों को रखा जाता है। ये वो बच्चे होते हैं जो कि 18 साल से कम उम्र में अपराध करने के कारण यहां लाए जाते हैं। इन किशोरों को जेल नहीं भेज अपनी प्रवृत्ति में सुधार के लिए बाल संप्रेक्षण गृह में रखा जाता है। एक सप्ताह पहले तक यहां पर 22 बाल अपचारी थे, लेकिन सोमवार को इनकी संख्या 17 रह गई। जमानत होने पर इनको भेज दिया जाता है। यहां रहने वाले ज्यादातर बाल अपचारी पॉक्सो, दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों में आते हैं। जिसकी सुनवाई बाल न्यायालय में होती है, वहीं चोरी, लूटपाट आदि के मामलों में जमानत होने पर रिहा भी हो जाते हैं। गंभीर मामलों में सुनवाई लंबी चलती है, इसलिए यहां रखा जाता है।
इस साल आठ बाल अपचारी बच्चों ने दी परीक्षा : राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह में रह रहे 17 में से 8 बाल अपचारी शिक्षा ले रहे हैं। इस साल इन्होंने आठवीं, दसवीं, बारहवीं, नौवी और ग्यारहवीं की परीक्षा दी और सफलता भी मिली है। साथ ही एक किशोर आईटीआई भी कर रहा है। कुछ किशोर प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कर रहे हैं। मेडिकल जांच के लिए चिकित्सक भी आते हैं। यदि परीक्षा देने में कोई परेशानी होती है तो विभागीय स्तर पर प्रयास कर उसे निपटाया जाता है।
ओपन जिम से सुधार रहे सेहत, हाथों से उगा रहे सब्जियां : यहां रहने वाले किशोरों को सेहतमंद रखने के लिए परिसर में ओपन जिम लगाई गई है। जहां सुबह व शाम कसरत कर रहे हैं। जिम के साथ ही यहां वाटिका बनाई गई है, जहां ये किशोर फल व सब्जियां भी उगा रहे हैं। नींबू, कैरी, चीकू, आंवला आदि के साथ यहां पर तोरई, घीया, पालक जैसे सब्जियां भी उगाई जाती है।
हां पर जो बाल अपचारी आते हैं उनकी शिक्षा का पूरा बंदोबस्त किया जाता है। खानपान मीनू के अनुसार दिया जाता है। इस साल आठ किशोरों ने परीक्षा दी है। एक किशोर को बोर्ड की परीक्षा देने में परेशानी आ रही थी, अजमेर जाकर व्यवस्था करवाई। यहां पर ओपन जिम, बागवानी से जोड़ा जाता है। प्रतियोगिताओं के लिए भी मदद की जाती है।
संजय वर्मा, अधीक्षक, राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह व सुधार गृह, अलवर।

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