वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के महंत चांदनाथ व कांग्रेस के जितेंद्र ङ्क्षसह मैदान में थे। उस समय स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा जा रहा था। परिणाम आए तो भाजपा के चांदनाथ को जीत मिली। कांग्रेस को 33.71 फीसदी वोट मिले थे। वहीं भाजपा को 60 फीसदी से ज्यादा मत मिले थे। इसी तरह वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा ने महंत बालक नाथ पर दाव लगाया। कांग्रेस ने फिर से जितेंद्र ङ्क्षसह को मैदान में उतारा। इस चुनाव में मोदी सरकार ने जनता से 5 साल का कार्यकाल और मांगा था। वहीं कांग्रेस ने भाजपा की विफलता को मुद्दा बनाया था। परिणाम आया तो भाजपा को जीत मिली। भाजपा को कांग्रेस से 19.99 फीसदी वोट ज्यादा मिले। वहीं कांग्रेस के वोटों में 23 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई थी।
वर्ष 2014 में अलवर लोकसभा सीट से चुनाव जीते महंत चांदनाथ का निधन होने के बाद वर्ष 2017 में उप चुनाव हुए। भाजपा ने डॉ. जसवंत यादव पर दाव लगाया। वहीं कांग्रेस ने डॉ. करण ङ्क्षसह यादव को मैदान में उतारा। इस चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल हुई। भाजपा की अपेक्षा कांग्रेस को 23.72 फीसदी वोट ज्यादा मिले थे। इस बार के चुनाव में भी भाजपा व कांग्रेस अपने-अपने मुद्दों के जरिए आगे बढऩे के दावे कर रही है लेकिन जनता भी मौन है। वह अपने पत्ते नहीं खोल रही है। इससे प्रत्याशी असमंजस में हैं।