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अलीगढ़

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में दिखाई देगा कैदियों का हुनर, ताले और लकड़ी के सामान की लगेगी प्रदर्शनी

Maha Kumbh 2025: अलीगढ़, जो अपनी ताले और तालीम के लिए देश और दुनिया में मशहूर है, अब एक नई पहचान बना रहा है। अलीगढ़ जिला कारागार में बंद कैदी ताले बनाने के काम में व्यस्त हैं। इन ताले का उपयोग प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए किया जाएगा, और इन्हें देश-विदेश में भी भेजा जाएगा।

अलीगढ़Dec 29, 2024 / 01:00 pm

Aman Pandey

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Maha Kumbh 2025: अलीगढ़ जिला कारागार में रोजाना करीब 1200 ताले बनाए जा रहे हैं, जिन्हें महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को सस्ते दामों पर बेचा जाएगा। इस पहल से कैदियों को अपनी कला और कौशल को सुधारने का भी एक बेहतरीन अवसर मिलेगा।
जेल अधीक्षक ने बताया कि इस बार महाकुंभ के आयोजन में जेल विभाग का एक विशेष स्टॉल भी लगाया जाएगा। यहां कैदियों द्वारा बनाए गए ताले और लकड़ी से बने विभिन्न सामानों की प्रदर्शनी होगी। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु इन सामानों को सस्ते दामों पर खरीद सकेंगे। यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे श्रद्धालुओं को ताले और अन्य वस्तुएं किफायती कीमतों पर मिलेंगी।

इस तरह के सामान बना रहे कैदी

अलीगढ़ जेल के अधीक्षक, विजेंद्र सिंह यादव ने कहा कि जेल में कैदी विभिन्न प्रकार के सामान बना रहे हैं, जिनमें शिवलिंग, ओम, संघ और अन्य धार्मिक प्रतीक शामिल हैं। जेल अधीक्षक के अनुसार, जेल में तालों को असेंबल किया जा रहा है, और इनका उपयोग न केवल अलीगढ़ में, बल्कि अन्य स्थानों पर भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जेल में एक छोटी इकाई स्थापित की गई है, जहां कैदी रोजाना विभिन्न सामान तैयार करते हैं, जिन्हें देशभर में भेजा जाता है।

कैदियों ने ‌अधिकारियों का जताया आभार

जेल में बंद आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी विनोद कुमार ने बताया कि वह पिछले दस महीने से जेल में हैं और यहीं ताला बनाने का काम सीखा है। विनोद ने कहा, “हमारे अलीगढ़ के ताले अब देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं और ये महाकुंभ में भी भेजे जाएंगे। हमारी पूरी तैयारी हो चुकी है। हम और हमारे सभी प्रशासनिक अधिकारी इस प्रयास में पूरी तरह से लगे हुए हैं ताकि जेल में बंद सभी कैदी रोजगार की दिशा में आगे बढ़ें। इस अवसर पर हम अपने अधिकारियों का दिल से धन्यवाद करते हैं।”
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1200 से 1300 से ताले प्रतिदिन हो रहे तैयार

विनोद ने आगे कहा कि हमें बहुत अच्छा लग रहा है। जब हमारे ताले देश-विदेश जाएंगे, तो हमारा और हमारे जिले का नाम रोशन होगा। हम सभी बंदियों के लिए यह एक बहुत अच्छा अवसर है। अब हम बड़े खुशनसीब महसूस करते हैं कि हम यहां से कुछ नया सीख रहे हैं और हमें अपने काम का सम्मान मिल रहा है। हम रोजाना लगभग बारह से तेरह सौ ताले तैयार करते हैं।

सोर्स: IANS

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