बीते साल 12 फरवरी को शिक्षकों की बैठक हुई थी। घूसकांड में निलंबित रामपालसिंह ने पूरक परीक्षाओं की तर्ज पर मुख्य कॉपियों को केंद्रीयकृत मूल्यांकन कराने को कहा था। माइक्रोबायलॉजी की प्रो. मोनिका भटनागर को इसकी जिम्मेदारी दी गई। लेकिन मार्च में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते विवि को परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ी।
कोरोना संक्रमण के चलते सरकार और यूजीसी ने प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करने के आदेश दिए। केवल तृतीय वर्ष और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की परीक्षाएं गई। विवि ने परम्परागत ढंग से शिक्षकों को बंडल भेजकर कॉपियां जंचवाई। शिक्षकों को कैंपस में बुलाने से परहेज किया गया। इस साल भी कोरोना संक्रमण के चलते हालात खराब हैं। परीक्षा फार्म नहीं भरवाने और परीक्षाएं स्थगित होने से स्थिति सामान्य नहीं है। विश्वविद्यालय को शिक्षकों के पास बंडल भेजकर कॉपियां जंचवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।