दरअसल अजमेर दरगाह में एक ऐसी देग है जिसमें एक समय में करीब 4500 किलो तक खाना बनाया जा सकता है। यह कढ़ाहीनुमा देग इतनी गहरी है कि इसमें सीढ़ी लगाकर दरगाह में काम करने वाले खादिम उतरते हैं और फिर इसमें से खाद्य पदार्थ निकालते जाते हैं। इस देग में खास तरह के चावल पकाए जाते हैं जिन्हें जर्दा कहा जाता है। साथ ही दाल भी बड़े स्तर पर पकाई जाती है। जिस जगह देग रखी गई है वहां इंधन का इंतजाम करने का भी अलग ही तरीका है। साल में कई खास आयोजनों में देग में खाना बनता है जिसे बांटा जाता है।
एक बार देग में खाना बनवाने के लिए कोई भी दान करने वाला व्यक्ति डेढ़ लाख से पौने दो लाख रुपए तक खर्च कर सकता है। इसके लिए ऑन लाइन बुकिंग सिस्टम है। अक्सर लोग मन्नत पूरी होने के लिए देग बोलते हैं और मन्नत पूरी होने पर देग चढ़ाई जाती है। हाल ही में पीएम के जन्मदिन पर भी इसी देग में चावल बनाए गए थे और उन्हें बांटा गया था। इस विशाल देग को बादशाह अकबर ने यहां भेंट किया था।