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आस में गुजर रही अन्नदाता की रात
बैंक के बाहर रात में कतार लगाकर सुबह होने का इंतजार कर रहे किसानों ने बताया कि किसान योजना और समर्थन मूल्य पर बेचे गए गेहूं का पैसा बैंक खातों में आ गया है और उसी को निकालने के लिए उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह बैंक में नंबर लग जाए इसी आस के साथ वो रातभर बैंक के बाहर ही खड़े रहते हैं ताकि सुबह होते ही नंबर लगा सकें और उन्हें टोकन मिल जाए जिससे कि वो अपना पैसा बैंक से निकाल सकें। कुछ किसानों ने बताया कि उन्हें कई लोगों का उधार चुकाना है और अगर वक्त पर साहूकारों का उधार नहीं चुकाया तो दिक्कत होगी। तो वहीं कुछ किसानों के घरों में शादी है जिन्हें शादी के लिए पैसों की जरुरत है। किसी को खेती-बाड़ी के लिए पैसों की जरुरत है। इसलिए वो दिन रात बैंक के बाहर ही गुजार रहे हैं। रात के वक्त किसान अपनी अपनी पास बुक को लाइन में रखकर उनपर पत्थर रख देते हैं और दूर सोशल डिस्टेसिंग के साथ जमीन पर ही सो जाते हैं।
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एक दिन में 150 लोगों को ही किया जा रहा भुगतान
आखिरकार ऐसी कौन सी वजह है कि किसानों को अपने ही पैसों के लिए रातभर बैंक के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है तो इसका जवाब कुछ ऐसा है। दरअसल शमशाबाद जिला सहकारी बैंक से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 14 दिनों से बैंक बंद थी। बैंक के कुछ कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो गए थे जिसके कारण बैंक को सील कर दिया गया था और 14 दिनों तक बैंक बंद रही। अब जब 14 दिन बाद बैंक खुली है तो कम स्टाफ के साथ ही बैंक के कर्मचारी काम कर रहे हैं। बैंक से पैसे निकालने के लिए बड़ी संख्या में किसान रोजाना आस लिए बैंक पहुंचते हैं लेकिन एक दिन में 150 लोगों को ही बैंक से भुगतान किया जा रहा है जिसके कारण कई लोगों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ता है और वापस लौटने से अच्छा किसान रात में लाइन लगाकर सुबह अपना नंबर आने का इंतजार करने लगते हैं जिससे कि अगली सुबह उनका नंबर लग जाए।
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