नागरिकों का कहना है कि ग्यारसपुर एक ऐतिहासिक नगर है जहां पर पुरासंपदा बिखरी हुई है यहां की पहचान श््राालभांजिका और मालादेवी मंदिर से है। ग्यारसपुर को पर्यटन केंद्र बनाने के लिए भी कई वर्षों से मांग उठाई जा रही है क्योंकि यहां पर पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाएं हैं। हरी-भरी पहाडिय़ां हैं, पानी से भरपूर अनेक जलाशय भी हैं। जिस प्रकार सांची में बौद्ध स्तूप होने से 5 किलोमीटर के दायरे के अंदर नगर परिषद बना दी गई, उसी प्रकार ग्यारसपुर से भी आसपास की ग्राम पंचायतों को जोडकऱ नगर पंचायत बना देना चाहिए जिससे कि इस क्षेत्र का तेज गति से विकास हो सके। लगातार ग्रामीण कई वर्षों से मुख्यमंत्री से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों को आवेदन दे चुके हैं। इस समय अभी परिसीमन भी चल रहा है इसलिए यह मांग तेज हो गई है कि ग्यारसपुर को नगर परिषद का दर्जा दिलाया जाए।क्षेत्र के लोगों ने सांसद से यहां सिंचाई परियोजना के लिए भी मांग की है। किसानों ने कहा कि वर्षों से हमारी मांग है कि ग्यारसपुर क्षेत्र में एक बांध बनाया जाए जिससे किसानों को 12 महीने खेतों के लिए पानी मिल सके। जिले में अधिकतर विकास खंडों में सभी जगह सिंचाई परियोजनाएं चल रही है केवल ग्यारसपुर विकासखंड में सिंचाई परियोजना नहीं है जिससे यहां के किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई को लेकर काफी परेशान होना पड़ता है। नागरिकों ने ज्ञापन में सांसद भार्गव को बताया कि ग्यारसपुर से नजदीक ही 1 किलोमीटर की दूरी पर माला देवी पहाड़ के नीचे बांध परियोजना के लिए उचित स्थान है जहां पर पूर्व से ही माला देवी तालाब के नाम से शासकीय तालाब भी है। इसको विकसित कर यहां पर बांध बनाया जाए क्योंकि यहां पूर्व से ही लगभग आधा किलो मीटर लंबी पार का निर्माण किया गया है इस तालाब से क्योटन नदी का उद्गम भी है।