विसर्जन से पहले पंडित बिरजू महाराज का अस्थि कलश कबीरचौरा और कस्तूरबा नगर कॉलोनी स्थित नटराज संगीत अकादमी परिसर में रखा गया। इन दोनों ही स्थानों पर काशी के कलाकारों और संगीत प्रेमियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उसके बाद अस्थि कलश अस्सी घाट पर ले जाया गया। घाट पर अस्थि कलश का वैदिक रीति से पूजन भी हुआ। इस मौके पर अस्थि विसर्जन के मौके पर जय किशन महाराज के अलावा छोटे बेटे त्रिभुवन और शिष्या शाश्वती सेन तथा बनारस घराने के कई कलाकार भी मौजूद रहे।
अस्थि विसर्जन के बाद कथक सम्राट के पुत्र जयकिशन महाराज ने मीडिया से कहा कि पिता जी अगली एक शताब्दि के लिए कथक की टेक्नीक दे गए हैं। उन्होंने कहा कि शायद पूर्व जन्म में मैंने कोई बहुत बड़ा पुण्य किया था, जो कि ऐसे पिता मिले। उनमें नृत्य के साथ ही गायन, चित्रकला, संगीत और साहित्यिक लेखन के भी अद्भुत क्षमता थी।
पंडित बिरजू महाराज का निधन भारतीय नृत्य कला में अपूरणीय क्षति वह स्वयं में नटराज थे। वह जहां खड़े हो जाते, वहां स्वयं नटराज खड़े हो जाते थे। उन्होंने भारतीय नृत्य कला को एक नया आयाम दिया व विश्व भर में भारतीय कला नृत्य को स्थापित किए। बढ़ती उम्र में भी महाराज विविध भावों और हाथों की अनूठी मुद्राओं में प्रस्तुतियों करते थे। उनकी यह कला सदैव जीवंत रहेगी। उनका जाना भारतीय नृत्य कला क्षेत्र की अपूरणीय क्षति है। काशी घराने से उनका गहरा लगाव था। उनका जाना संपूर्ण संगीत प्रेमियों, हम बनारसियों के लिए बड़ी क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं।-अजय राय
अस्थि कलश काशी आने पर महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, महानगर कोषाध्यक्ष मनीष मोरोलिया, चंचल शर्मा, रोहित दुबे, विनय राय आदि ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।