माखनलाल के बाद पाणिनी विवि
प्रदेश में सरकार बदलने के बाद सबसे ज्यादा राजनीतिक उठापटक उच्च शिक्षा विभाग में जारी है। पूर्व भाजपा सरकार के 15 साल के कार्यकाल में विश्वविद्यालय में जमकर अनियमिताए हुईं। इनकी शिकायत शासन स्तर पर हुई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सरकार बदले ही सबसे पहले भोपाल की माखनलाल पत्रकारिता विवि की नियुक्ति की जांच हुई। इसमें एफआईआर तक हो चुकी है। इसी के साथ परंपरागत विवि में पहली कार्रवाई विक्रम विश्वविद्यालय में धारा 52 लगाकर हुई। अब अन्य विश्वविद्यालय में भी जांच की प्रक्रिया जारी है, लेकिन पाणिनी की नियुक्ति की जांच को लेकर शासन गंभीर है। इसके पीछे शिकायतों के तथ्यों की मजबूती है।
नियुक्ति से बिगड़ी शिक्षक पद की सरंचना
समस्त विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मापदंड के अनुरूप शिक्षकीय पद की संरचना करनी होती है। यह संरचना होने पर ही यूजीसी के नियम 12बी के तहत मान्यता और फिर अनुदान प्रदान किया जाता है। शासन ने पाणिनी विवि में भी पद की सरंचना नियमों के तहत की थी, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर एक पद को परिवर्तित कर लिया गया। इसके पीछे शासन की अनुमति का हवाला दिया जा रहा है। जबकि शासन से आए पत्र में पद को परिवर्तित करने की जगह प्रोफेसर को निदेशक के रूप में काम लेने की बात है। यह शब्दों का खेल शिकायतकर्ताओं ने खोल दिया है। कांग्रेस आईटी सेल के शहर अध्यक्ष संचित शर्मा द्वारा उच्च शिक्षा विभाग को शिकायत भेजी थी। इसमें पूरी प्रक्रिया के दस्तावेज उपलब्ध हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने की मुख्यमंत्री से शिकायत
शहर कांग्रेस के कार्यवाह अध्यक्ष विवेक यादव ने पाणिनी विवि में वर्ष 2013 से अब तक हुई नियुक्तियों की शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ से की। यह शिकायत विभाग पहुंची और मंत्री जीतू पटवारी ने जांच के आदेश दे दिए हैं। इसी शिकायत के साथ नियुक्ति संबंधी समस्त शिकायतों को जोड़ दिया गया है। इस शिक्षक में तुलसीराम परोहा, उपेंद्र भार्गव सहित अन्य लोगों की नाम से शिकायत है।
इनका कहना है
पाणिनी विवि की शिकायत उच्च शिक्षा विभाग को की गई। विभाग के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई होगी।
आरसी जाटवा, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग, उज्जैन संभाग