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उदयपुर

सड़कों पर आई महाराणा प्रताप के वंशजों की लड़ाई, ‘राजतिलक’ की रस्म के बाद उदयपुर में मचा बवाल

Udaipur Royal family Controversy: पूर्व सांसद महेंद्रसिंह मेवाड़ के निधन के बाद राजस्थान के मेवाड़ के पूर्व राजघराने की लड़ाई आज सड़कों पर आ गई।

उदयपुरNov 25, 2024 / 09:14 pm

Nirmal Pareek

Udaipur Royal family Controversy: पूर्व सांसद महेंद्रसिंह मेवाड़ के निधन के बाद राजस्थान के मेवाड़ के पूर्व राजघराने की लड़ाई आज सड़कों पर आ गई। क्योंकि महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह राजतिलक की रस्म के बाद उदयपुर में एकलिंग मंदिर में दर्शन करने जा रहे थे, लेकिन पारिवारिक विवाद के चलते उनको सिटी पैलेस के बाहर जगदीश चौक पर रोक दिया गया। इसके बाद उनके समर्थकों ने बवाल कर दिया।
दरअसल, मेवाड़ के पूर्व राजघराने में विवाद सिटी पैलेस में प्रवेश को लेकर है। विश्वराजसिंह का पक्ष पगड़ी के बाद सिटी पैलेस जाना चाहते हैं। लेकिन दूसरा पक्ष इसके लिए राजी नहीं है। पुलिस प्रशासन ने दोनों पक्षों में सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई हल नहीं निकला है। अभी तक उच्च अधिकारी मौके पर ही मौजूद हैं, जिला कलेक्टर अरविंद पोषवाल दोनों पक्षों से बात कर मामला सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।
बता दें, परंपरा के तहत राजतिलक की रस्म के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ धूणी दर्शन के लिए उदयपुर के सिटी पैलेस पहुंचे, लेकिन सिटी पैलेस में जाने के गेट बंद कर दिए गए थे। इसके बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ के समर्थकों ने बैरिकेड्स हटा दिए और उनके काफिले की कुछ गाड़ियां अंदर चली गई।
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इसके बाद पुलिस ने रंग निवास में सिर्फ तीन गाड़ियों को जाने दिया, लेकिन विश्वराज सिंह मेवाड़ के समर्थक 10 गाड़ियां अंदर जाने की मांग की। इस बीच समर्थक पुलिस की ओर से लगाए गए बैरिकेड्स को हटाते हुए आगे बढ़ गए। एक बारगी पुलिस और समर्थक आमने-सामने होते हुए भी नजर आए।
वहीं, विश्वराज सिंह मेवाड़ ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सभी लोगों को इस प्रेम के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। भगवान एकलिंग नाथ से प्रार्थना है कि पूरे मेवाड़ पर उनकी कृपा बनी रहे। उन्होंने कहा कि आज की जो स्थिति आप देख रहे हैं, वह सरासर गलत है।
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गौरतलब है कि 25 सितंबर को चित्तौड़गढ़ किले के फतह प्रकाश महल में विश्वराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाने की परंपरा निभाने के लिए पगड़ी दस्तूर हुआ। यह रस्म प्रतीकात्मक निभाई जाती है। रस्म कार्यक्रम के दौरान खून से राजतिलक किया गया। राजतिलक कार्यक्रम करीब 3 घंटे तक चला। बता दें, 1531 के बाद पहली बार चित्तौडगढ़ दुर्ग में तिलक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इससे पहले, महाराणा सांगा के बेटे तत्कालीन महाराणा विक्रमादित्य का तिलक हुआ था।

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