बांध परियोजना के कंट्रोल रूम से प्राप्त जानकारी के अनुसार बांध का गेज रविवार को 309.93 आर एल मीटर दर्ज किया गया है। जिसमें 10.612 टीएमसी का जलभराव बचा हुआ है। वहीं कुल जलभराव का 27.42 प्रतिशत पानी अभी बांध में शेष बचा है। बीसलपुर बांध 2010 में पूर्ण रूप से सूख चुका था। तब बांध में महज एक से दो दिन का पानी शेष बचा हुआ था। तब बांध का गेज 298.67 आर एल मीटर दर्ज किया गया था। वही टीएमसी में जलभराव शून्य की स्थिति में पहुंच गया था। बांध बनने के बाद पहली बार 2004 में पूर्ण जलभराव हुआ था। अब फिर से 2024 में लोगों को पूर्ण जलभराव होकर छलकने की उमीद है।
कब-कब छलका बांध
बीसलपुर बांध 1996 में बनकर तैयार हुआ था। बांध बनने के बाद हर एक से दो वर्षों के अन्तराल में पूर्ण रूप से भरा है। बांध बनकर तैयार होने के बाद पहली बार 2004 में पूर्ण जलभराव हुआ था। उसके बाद 2006 में पूर्ण जलभराव होकर छलका है। उसके बाद 2014 में छलका था। फिर 2016 व 2019 में छलका था। आखिरी बार 2022 में पूर्ण जलभराव होकर छलका था।
बीसलपुर बांध एक नजर में
बीसलपुर बांध का कुल भराव गेज 315.50 आर एल मीटर है। जिसमें 38.70 टीएमसी पानी भरता है। वहीं पूर्ण जलभराव में 21 हजार 300 हेक्टेयर भूमि जलमग्न होती है। पूर्ण जलभराव में कुल 68 गांव डूब में आते हैं। जिसमें 25 गांव पूर्ण रूप से व 43 गांव आंशिक रूप से डूबते हैं। जिनकी सिर्फ कृषि भूमि डूबती है। अभी बीसलपुर गांव को छोड़कर लगभग अन्य सभी गांवों की भूमि जलभराव से खाली हो चुकी है। बांध पर कुल 18 रेडियल गेट लगे हैं। स्काडा सिस्टम के तहत राज्य का पहला कप्यूटराईज्ड होने वाला बांध है। पूर्ण जलभराव में 21 हजार 300 हेक्टेयर भूमि जलमग्न होती है। पूर्ण जलभराव में कुल 68 गांव डूब में आते हैं। जिसमें 25 गांव पूर्ण रूप से व 43 गांव आंशिक रूप से डूबते हैं। जिनकी सिर्फ कृषि भूमि डूबती है। बीसलपुर गांव को छोड़कर लगभग अन्य सभी गांवों की भूमि जलभराव से खाली हो चुकी है।
नदियों में बचा नीर जलभराव सूखा
गत वर्ष बिपरजोय तूफान के बाद मानसून की बेरूखी रही है। जिससे इस बार बांध 2010 वाली स्थिति के करीब पहुंचने लगा है। इन दिनों बादलों की ओट से रोजाना एक सेमी पानी की खपत हो रही है। जो पहले वाष्पीकरण व जलापूर्ति को लेकर डेढ़ से दो सेमी की कमी दर्ज की जा रही थी। अभी बांध के जलभराव में सहायक बनास व डाई नदियों में ही पानी बचा हुआ है। खारी नदी व अन्य जलभराव क्षेत्र पूर्णतया सूखने के कगार पर पहुंच गया है।