जिला अस्पताल में बने मेटरनिटी विंग में प्रसूताओं की सुविधा के लिए लिफ्ट लगाई गई थी। जिनमें पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा २० लाख रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन लिप्ट दस दिन तक नहीं चल पाई। परिजन को प्रसूता महिलाओं को स्ट्रेचर पर लिटाकर रैंप से ऊपर के वार्ड में ले जाना पड़ रहा है। ऐसे में सबसे ज्यादा समस्या ऑपरेशन वाली महिलाओं को होती है।
तीन मंजिला बने मेटरनिटी विंग में पीआईसीयू वार्ड, आईसीयू वार्ड में चढऩे, उतरे में महिलाओं को दिक्कतों का सामना न करना पड़ता। इसके लिए तीन साल पहले अक्टूबर महीने में शुरू हुई थी। लिफ्ट शुरू होते ही पहली ही बार में क्षमता से अधिक वजन के साथ लिफ्ट को चालू कर दिया। जिससे वह तीसरी मंजिल तक भी नहीं पहुंच पाई और खराब हो गई, जो अब तक बंद पड़ी है। वहीं यह लिफ्ट छोटी भी है, जिससे मरीज को स्ट्रेचर सहित लिफ्ट में नहीं ले जाया जा सकता। जिससे अगर मरीज चलने की स्थिति में नहीं है तो उसे स्ट्रेचर पर लेटाकर रैंप से ऊपर ले जाना पड़ रहा है।
जिला अस्पताल में प्रसूताओं की सुविधाओं के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग ने ठेका से शुरू करवा दिया था, लेकिन उसके लिए कर्मचारी नियुक्त नहीं किया था। ओवरलोडिंग के चलते बंद हो गई थी। उसके सुधार के लिए इंजीनियर को बुलाने की बात दो साल से की जा रही है, लेकिन सुधार कार्य के लिए इंजीनियर नहीं आ पाया है।
लोगों की सुविधाओं के लिए लिप्ट लगाई है, लेकिन वह बंद है। इसमें बिजली भी नहीं आ रही है। कुछ दिन पहले तो बिजली आती थी। लेकिन अब नहीं है।
कल्लू रैकवार तालमऊ फोटो।
करन सिंह। फोटो
इनका कहना
यह गंभीर समस्या है। सिविल सर्जन को इस पर ध्यान देना चाहिए। जल्द ही समस्या का समाधान किया जाएगा। जिससे प्रसूताओं को परेशान ना होना पड़े।
शोभाराम रौशन, सीएमएचओ टीकमगढ़।