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टीकमगढ़

खतरे में यात्री.. सडक़ों पर हो रहा कंडम बसों का परिवहन, आरटीओ विभाग की अनदेखी पड़ सकती है भारी

टीकमगढ़.
जिले के बस स्टैंड पर परमिट और बिना परमिट की बसें दोनों ओर खड़ी है। जिसमें ७५ प्रतिशत से अधिक बसे खटारा और रंगरोगन वाली है। जिनकी छत और सीट के नीचे की चद्दर को जंग खा गई है। बैठने वाली सीटें एक दूसरे से टकरा रही है। स्र्टाट होने पर पूरी बस हिल रही है। जिसमें बैठना खतरे से कम नहीं है। इन बसों से रोजाना १५ हजार से अधिक यात्री सफर कर रहे है।
उसके बावजूद जिम्मेदार विभाग के अधिकारी यात्रियों की सुरक्षा को लेकर आगे नहीं आ रहे है।

जिले में रोजाना २५० से अधिक बसें नया बस स्टैंड से यात्रियों को लेकर विभिन्न सडक़ों पर भर्राटा भर रही है। इनमें से ज्यादा संख्या उन बसों की है जो खटारा और रंगरोगन की श्रेणी में आती है। प्रदेश के साथ जिले में कई हादसों के बाद भी इन यात्री बसों लगाम लगाने के लिए ठोस कार्रवाई की पहल नहीं की गई है। जिला और कम दूरी वाले रूट पर वाली ७५ फीसदी बसे पुरानी हो चुकी है। लेकिन परिवहन विभाग इन्हें सडक़ से हटा नहीं रहा है। जबकि इन बसों से रोजाना १५ हजार से अधिक यात्री सफ र करते है।

टीकमगढ़ और छतरपुर जिला की सडक़ों पर दौड़ रही खटारा बसें
बस चालक और कंडेक्टर ने बताया कि कुछ वर्षों से टीकमगढ़ जिले में यात्री बसों की चेकिंग नहीं हुई है। इससे सबसे अधिक बसें पुरानी ही सडक़ों पर दौड़ रही है। यात्री रामकेश कुशवाहा और प्रेम नारायण यादव ने बताया कि ५२ सीटर बसों में १०० से अधिक सवारियां बैठाई जा रही है। लगेज से बसों की छते भरी रहती है। लेकिन किराया सीट पर बैठने वाला ही वसूल रहे है।

नई बसें इंदौर, भोपाल और छिंदवाडा
बताया गया कि महानगरों में सवारियों को लेकर नई बसें दौड़ रही है। सागर, झांसी, छतरपुर, दमोह, ललितपुर और महोबा के लिए पुरानी बसों में यात्रियों को बैठाया जा रहा है। इन बसों के रिबोल्ड टायर, रंगरोगन वाली बॉडी, टूटी छत के साथ खिडक़ी बंधी है। कई बसों में तो आपातकालीन गेट नहीं है।

बसों यह है गंभीर कमियां
यात्री सुरक्षा के लिए बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं है। बसों में इमरजेंसी गेट नहीं है। निर्धारित रूट्स से हटकर मनमाने रूट पर चलाई जा रही है। इमरजेंसी के समय काम आने वाले पैनिक बटन को सक्रिय नहीं है। कई बसों के कंडक्टर बिना लाइसेंस के काम कर रहे है।

जरूरी सवाल
क्या परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन एक और बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है। यात्री सुरक्षा के लिए कब उठाए जाएंगे ठोस कदम। खटारा बसों के संचालन पर कब लगेगी रोक । खटारा बसों की नहीं होती जांच। इन बसों से प्रदूषण भी फैल रहा है। लेकिन जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए है। जिम्मेदार विभागों की सुस्ती और यात्री सुरक्षा के प्रति अनदेखी शहर में बड़ा खतरा बनकर मंडरा रही है।

टीकमगढ़Dec 19, 2024 / 11:03 am

akhilesh lodhi

टीकमगढ़. जिले के बस स्टैंड पर परमिट और बिना परमिट की बसें दोनों ओर खड़ी है। जिसमें ७५ प्रतिशत से अधिक बसे खटारा और रंगरोगन वाली है। जिनकी छत और सीट के नीचे की चद्दर को जंग खा गई है। बैठने वाली सीटें एक दूसरे से टकरा रही है। स्र्टाट होने पर पूरी बस हिल रही है। जिसमें बैठना खतरे से कम नहीं है। इन बसों से रोजाना १५ हजार से अधिक यात्री सफर कर रहे है। उसके बावजूद जिम्मेदार विभाग के अधिकारी यात्रियों की सुरक्षा को लेकर आगे नहीं आ रहे है। जिले में रोजाना २५० से अधिक बसें नया बस स्टैंड से यात्रियों को लेकर विभिन्न सडक़ों पर भर्राटा भर रही है। इनमें से ज्यादा संख्या उन बसों की है जो खटारा और रंगरोगन की श्रेणी में आती है। प्रदेश के साथ जिले में कई हादसों के बाद भी इन यात्री बसों लगाम लगाने के लिए ठोस कार्रवाई की पहल नहीं की गई है। जिला और कम दूरी वाले रूट पर वाली ७५ फीसदी बसे पुरानी हो चुकी है। लेकिन परिवहन विभाग इन्हें सडक़ से हटा नहीं रहा है। जबकि इन बसों से रोजाना १५ हजार से अधिक यात्री सफ र करते है। टीकमगढ़ और छतरपुर जिला की सडक़ों पर दौड़ रही खटारा बसें बस चालक और कंडेक्टर ने बताया कि कुछ वर्षों से टीकमगढ़ जिले में यात्री बसों की चेकिंग नहीं हुई है। इससे सबसे अधिक बसें पुरानी ही सडक़ों पर दौड़ रही है। यात्री रामकेश कुशवाहा और प्रेम नारायण यादव ने बताया कि ५२ सीटर बसों में १०० से अधिक सवारियां बैठाई जा रही है। लगेज से बसों की छते भरी रहती है। लेकिन किराया सीट पर बैठने वाला ही वसूल रहे है। नई बसें इंदौर, भोपाल और छिंदवाडा बताया गया कि महानगरों में सवारियों को लेकर नई बसें दौड़ रही है। सागर, झांसी, छतरपुर, दमोह, ललितपुर और महोबा के लिए पुरानी बसों में यात्रियों को बैठाया जा रहा है। इन बसों के रिबोल्ड टायर, रंगरोगन वाली बॉडी, टूटी छत के साथ खिडक़ी बंधी है। कई बसों में तो आपातकालीन गेट नहीं है। बसों यह है गंभीर कमियां यात्री सुरक्षा के लिए बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं है। बसों में इमरजेंसी गेट नहीं है। निर्धारित रूट्स से हटकर मनमाने रूट पर चलाई जा रही है। इमरजेंसी के समय काम आने वाले पैनिक बटन को सक्रिय नहीं है। कई बसों के कंडक्टर बिना लाइसेंस के काम कर रहे है। जरूरी सवाल क्या परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन एक और बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है। यात्री सुरक्षा के लिए कब उठाए जाएंगे ठोस कदम। खटारा बसों के संचालन पर कब लगेगी रोक । खटारा बसों की नहीं होती जांच। इन बसों से प्रदूषण भी फैल रहा है। लेकिन जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए है। जिम्मेदार विभागों की सुस्ती और यात्री सुरक्षा के प्रति अनदेखी शहर में बड़ा खतरा बनकर मंडरा रही है।

टीकमगढ़.
जिले के बस स्टैंड पर परमिट और बिना परमिट की बसें दोनों ओर खड़ी है। जिसमें ७५ प्रतिशत से अधिक बसे खटारा और रंगरोगन वाली है। जिनकी छत और सीट के नीचे की चद्दर को जंग खा गई है। बैठने वाली सीटें एक दूसरे से टकरा रही है। स्र्टाट होने पर पूरी बस हिल रही है। जिसमें बैठना खतरे से कम नहीं है। इन बसों से रोजाना १५ हजार से अधिक यात्री सफर कर रहे है।
उसके बावजूद जिम्मेदार विभाग के अधिकारी यात्रियों की सुरक्षा को लेकर आगे नहीं आ रहे है।

जिले में रोजाना २५० से अधिक बसें नया बस स्टैंड से यात्रियों को लेकर विभिन्न सडक़ों पर भर्राटा भर रही है। इनमें से ज्यादा संख्या उन बसों की है जो खटारा और रंगरोगन की श्रेणी में आती है। प्रदेश के साथ जिले में कई हादसों के बाद भी इन यात्री बसों लगाम लगाने के लिए ठोस कार्रवाई की पहल नहीं की गई है। जिला और कम दूरी वाले रूट पर वाली ७५ फीसदी बसे पुरानी हो चुकी है। लेकिन परिवहन विभाग इन्हें सडक़ से हटा नहीं रहा है। जबकि इन बसों से रोजाना १५ हजार से अधिक यात्री सफ र करते है।

टीकमगढ़ और छतरपुर जिला की सडक़ों पर दौड़ रही खटारा बसें
बस चालक और कंडेक्टर ने बताया कि कुछ वर्षों से टीकमगढ़ जिले में यात्री बसों की चेकिंग नहीं हुई है। इससे सबसे अधिक बसें पुरानी ही सडक़ों पर दौड़ रही है। यात्री रामकेश कुशवाहा और प्रेम नारायण यादव ने बताया कि ५२ सीटर बसों में १०० से अधिक सवारियां बैठाई जा रही है। लगेज से बसों की छते भरी रहती है। लेकिन किराया सीट पर बैठने वाला ही वसूल रहे है।

नई बसें इंदौर, भोपाल और छिंदवाडा
बताया गया कि महानगरों में सवारियों को लेकर नई बसें दौड़ रही है। सागर, झांसी, छतरपुर, दमोह, ललितपुर और महोबा के लिए पुरानी बसों में यात्रियों को बैठाया जा रहा है। इन बसों के रिबोल्ड टायर, रंगरोगन वाली बॉडी, टूटी छत के साथ खिडक़ी बंधी है। कई बसों में तो आपातकालीन गेट नहीं है।

बसों यह है गंभीर कमियां
यात्री सुरक्षा के लिए बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं है। बसों में इमरजेंसी गेट नहीं है। निर्धारित रूट्स से हटकर मनमाने रूट पर चलाई जा रही है। इमरजेंसी के समय काम आने वाले पैनिक बटन को सक्रिय नहीं है। कई बसों के कंडक्टर बिना लाइसेंस के काम कर रहे है।

जरूरी सवाल
क्या परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन एक और बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है। यात्री सुरक्षा के लिए कब उठाए जाएंगे ठोस कदम। खटारा बसों के संचालन पर कब लगेगी रोक । खटारा बसों की नहीं होती जांच। इन बसों से प्रदूषण भी फैल रहा है। लेकिन जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए है। जिम्मेदार विभागों की सुस्ती और यात्री सुरक्षा के प्रति अनदेखी शहर में बड़ा खतरा बनकर मंडरा रही है।

यात्रियों की सुरक्षा का इंतजाम नहीं कर पा रहे जिम्मेदार, बगैर सुविधाओं की संचालित हो रही बसें

टीकमगढ़. जिले के बस स्टैंड पर परमिट और बिना परमिट की बसें दोनों ओर खड़ी है। जिसमें ७५ प्रतिशत से अधिक बसे खटारा और रंगरोगन वाली है। जिनकी छत और सीट के नीचे की चद्दर को जंग खा गई है। बैठने वाली सीटें एक दूसरे से टकरा रही है। स्र्टाट होने पर पूरी बस हिल रही है। जिसमें बैठना खतरे से कम नहीं है। इन बसों से रोजाना १५ हजार से अधिक यात्री सफर कर रहे है।
उसके बावजूद जिम्मेदार विभाग के अधिकारी यात्रियों की सुरक्षा को लेकर आगे नहीं आ रहे है।
जिले में रोजाना २५० से अधिक बसें नया बस स्टैंड से यात्रियों को लेकर विभिन्न सडक़ों पर भर्राटा भर रही है। इनमें से ज्यादा संख्या उन बसों की है जो खटारा और रंगरोगन की श्रेणी में आती है। प्रदेश के साथ जिले में कई हादसों के बाद भी इन यात्री बसों लगाम लगाने के लिए ठोस कार्रवाई की पहल नहीं की गई है। जिला और कम दूरी वाले रूट पर वाली ७५ फीसदी बसे पुरानी हो चुकी है। लेकिन परिवहन विभाग इन्हें सडक़ से हटा नहीं रहा है। जबकि इन बसों से रोजाना १५ हजार से अधिक यात्री सफ र करते है।
टीकमगढ़ और छतरपुर जिला की सडक़ों पर दौड़ रही खटारा बसें
बस चालक और कंडेक्टर ने बताया कि कुछ वर्षों से टीकमगढ़ जिले में यात्री बसों की चेकिंग नहीं हुई है। इससे सबसे अधिक बसें पुरानी ही सडक़ों पर दौड़ रही है। यात्री रामकेश कुशवाहा और प्रेम नारायण यादव ने बताया कि ५२ सीटर बसों में १०० से अधिक सवारियां बैठाई जा रही है। लगेज से बसों की छते भरी रहती है। लेकिन किराया सीट पर बैठने वाला ही वसूल रहे है।
नई बसें इंदौर, भोपाल और छिंदवाडा
बताया गया कि महानगरों में सवारियों को लेकर नई बसें दौड़ रही है। सागर, झांसी, छतरपुर, दमोह, ललितपुर और महोबा के लिए पुरानी बसों में यात्रियों को बैठाया जा रहा है। इन बसों के रिबोल्ड टायर, रंगरोगन वाली बॉडी, टूटी छत के साथ खिडक़ी बंधी है। कई बसों में तो आपातकालीन गेट नहीं है।
बसों यह है गंभीर कमियां
यात्री सुरक्षा के लिए बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं है। बसों में इमरजेंसी गेट नहीं है। निर्धारित रूट्स से हटकर मनमाने रूट पर चलाई जा रही है। इमरजेंसी के समय काम आने वाले पैनिक बटन को सक्रिय नहीं है। कई बसों के कंडक्टर बिना लाइसेंस के काम कर रहे है।
जरूरी सवाल
क्या परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन एक और बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है। यात्री सुरक्षा के लिए कब उठाए जाएंगे ठोस कदम। खटारा बसों के संचालन पर कब लगेगी रोक । खटारा बसों की नहीं होती जांच। इन बसों से प्रदूषण भी फैल रहा है। लेकिन जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए है। जिम्मेदार विभागों की सुस्ती और यात्री सुरक्षा के प्रति अनदेखी शहर में बड़ा खतरा बनकर मंडरा रही है।

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