बस चालक और कंडेक्टर ने बताया कि कुछ वर्षों से टीकमगढ़ जिले में यात्री बसों की चेकिंग नहीं हुई है। इससे सबसे अधिक बसें पुरानी ही सडक़ों पर दौड़ रही है। यात्री रामकेश कुशवाहा और प्रेम नारायण यादव ने बताया कि ५२ सीटर बसों में १०० से अधिक सवारियां बैठाई जा रही है। लगेज से बसों की छते भरी रहती है। लेकिन किराया सीट पर बैठने वाला ही वसूल रहे है।
बताया गया कि महानगरों में सवारियों को लेकर नई बसें दौड़ रही है। सागर, झांसी, छतरपुर, दमोह, ललितपुर और महोबा के लिए पुरानी बसों में यात्रियों को बैठाया जा रहा है। इन बसों के रिबोल्ड टायर, रंगरोगन वाली बॉडी, टूटी छत के साथ खिडक़ी बंधी है। कई बसों में तो आपातकालीन गेट नहीं है।
यात्री सुरक्षा के लिए बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं है। बसों में इमरजेंसी गेट नहीं है। निर्धारित रूट्स से हटकर मनमाने रूट पर चलाई जा रही है। इमरजेंसी के समय काम आने वाले पैनिक बटन को सक्रिय नहीं है। कई बसों के कंडक्टर बिना लाइसेंस के काम कर रहे है।
क्या परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन एक और बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है। यात्री सुरक्षा के लिए कब उठाए जाएंगे ठोस कदम। खटारा बसों के संचालन पर कब लगेगी रोक । खटारा बसों की नहीं होती जांच। इन बसों से प्रदूषण भी फैल रहा है। लेकिन जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए है। जिम्मेदार विभागों की सुस्ती और यात्री सुरक्षा के प्रति अनदेखी शहर में बड़ा खतरा बनकर मंडरा रही है।