दोपहर को सजेगा मंडप
मंदिर के पुरोहित आचार्य वीरेंद्र बिदुआ ने बताया कि भगवान के विवाह का मंडप सज गया है। गुरुवार दोपहर की आरती के बाद बुंदेली परंपरा के अनुसार मंडप का पूजन होगा। यहां पर कलेक्टर अपनी पत्नी के साथ मंडप का पूजन कर भगवान के विवाह की खाम लगाएंगे। इसके साथ ही भगवान को हल्दी और तेल चढ़ाया जाएगा। भगवान की हल्दी के बाद यही हल्दी श्रद्धालुओं को लगाई जाएगी।देखें वीडियो
बुंदेली में गाए जा रहे विवाह के गीत
पिछले दो दिनों से मंदिर परिसर में रामराजा धर्मशाला में भगवान के विवाह की पंगत के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था की जा रही है। यहां पर तैयारियां कर रही महिलाओं के साथ ही अन्य श्रद्धालु महिलाएं पहुंच कर सेवा कर रही हैं। इसके साथ ही वह बुंदेली विवाह गीत गा रही हैं। ऐसे में यहां का माहौल और भी भक्ति मय होता दिखाई दे रहा है।इस बार क्यों खास है राम-जानकी महोत्सव
श्रीराम-जानकी महोत्सव की 500 साल पुरानी परम्परा इस बार बेहद खास हो चली है। दरअसल हर साल की तरह प्रशासन भगवान राम और जानकी के विवाह का आयोजन इस साल भी धूमधाम से कर रहा है। लेकिन इस बार पहली बार प्रशासन ने श्रीराम-जानकी विवाह महोत्सव के कार्ड भी छपवाएं हैं। यही नहीं प्रिंटेट कार्ड के साथ ही ई-कार्ड भी तैयार करवाए गए हैं।हरदौल के लला को अर्पित किया पहला कार्ड
मंदिर के प्रबंधक एवं कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने बताया कि भगवान के विवाह का पहला कार्ड परंपरा के अनुसार हरदौल लला को अर्पित किया गया।
अयोध्या में रामलला को भी न्योता
इसके बाद राम-जानकी विवाह के कार्ड द्वादश ज्योतिर्लिंग, चारों धाम के साथ ही अयोध्या श्रीराम लला को भी राम-जानकी विवाह महोत्सव का न्योता दिया गया है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही तिरुपति, वैष्णो देवी, बांके बिहारी मंदिर वृंदावन सहित देश के सभी प्रमुख मंदिरों में विवाह का आमंत्रण भेजा गया है।इन्हें भी किया आमंत्रित
इस बार प्रदेश के सभी विभागों के प्रमुख सचिव, उप सचिव को भी कार्ड भेज जा रहे है। इसके लिए एक अधिकारी नियुक्त कर कार्ड हैंड टू हैंड पहुंचाने के निर्देश दिए है। तहसीलदार गुर्जर ने बताया कि भगवान के विवाह के आमंत्रण प्रदेश के सभी कलेक्टर एवं एसपी को भेजे जा रहे हैं।ठेठ बुंदेली में होता है आयोजन
भगवान राम के अयोध्या से ओरछा आगमन के बाद पिछले 450 साल से यह परंपरा निरंतर जारी है। यहां पर अवध और मिथला की परंपरा से दूर रहते हुए पूरा आयोजन बुंदेली रीति-नीति से किया जाता है। इसमें भगवान को मंडप के दिन हल्दी और तेल चढ़ाने की रस्म के साथ ही बारात में उन्हें खजूर का मुकुट पहनाने की परंपरा आज भी बरकरार है।