मंदिर के 19वें महंत पवन गिरि के अनुसार यह शिवलिंग एक ही चट्रटान से बना है। इसमें कोई जोड नहीं है। मंदिर का इतिहास 6500 साल पुराना है। मंदिर पांडवों के समय का है।
खासियत-
– 21.5 फीट ऊंचा है यह शिवलिंग
– 14 फीट है जमीन के अंदर
– 400 वर्गफीट की जलधारी
– 7.5 फीट ऊंचाई जलधारी के ऊपर
-18.8 इंच है व्यास
राजा भोज ने कराया था जीर्णोद्धार-
कुछ लोगों का कहना है, राजा भोज ने मंदिर बनवाया। जनश्रुति यह भी है कि राजा को बीमारी से मुक्ति मिली तो उन्होंने जीर्णोद्धार कराया।
ऐसे पहुंचे यहां
मप्र की राजधानी भोपाल आकर इस मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। भोपाल आने के लिए बस,ट्रेन और प्लेन की सुविधा है। यह मंदिर भोपाल से करीब 30 किमी दूर दक्षिण पूर्व में बेतवा नदी के दाहिने तट पर एक ऊंची चट्रटान पर स्थिति है। यहां निजी वाहनों से भी आसानी से आया जा सकता है।
मंदिर के फैक्ट्स-
1. मंदिर की 40 फीट ऊंचाई वाले चार स्तम्भ हैं। गर्भगृह की अधूरी बनी छत इन्हीं चार स्तंभों पर टिकी है।
2. भोजेश्वर मंदिर के विस्तृत चबूतरे पर ही मंदिर के अन्य हिस्सों, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने की योजना थी।
3. ऐसा मंदिर के निकट के पत्थरों पर बने मंदिर-योजना से संबद्ध नक्शों से पता चलता है।
4. यहां वर्ष में दो बार वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है जो मकर संक्रांति व महाशिवरात्रि पर्व के समय होता है। वहीं सावन के सोमवार को भी जहां भक्तों की जमकर भीड़ उमड़ती है।
5. महाशिवरात्रि पर यहां तीन दिवसीय भोजपुर महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
6. भोजपुर शिव मंदिर के बिलकुल सामने पश्चमी दिशा में एक गुफा है जो कि पार्वती गुफा के नाम से जानी जाती है।
यहां पुरातात्विक महत्तव की अनेक मुर्तियां हैं।
7. भोजपुर में एक अधूरा जैन मंदिर भी है।
8. इस मंदिर में भगवन शांतिनाथ की 6 मीटर ऊंची मूर्ति है।
9. इस मंदिर में लगे एक शिलालेख पर राजा भोज का नाम लिखा है।
10. सावन महीने में भी भक्त यहां शिव जी की पूजा करने आते हैं।
11. वहीं इस मंदिर को उत्तर के सोमनाथ के नाम से भी जाना जाता है।