कई हेक्टेयर जमीन पर फूलों की खेती नष्ट
बागवानी विभाग के एक सूत्र ने कहा कि पूर्व मिदनापुर में 6,000 हेक्टेयर खेतों में से 4,200 हेक्टेयर में पानी में पानी भर गया। पूर्व मिदनापुर के पांसकुड़ा के एक फूल उत्पादक ने कहा कि उसने विशेष रूप से दुर्गा पूजा के मौसम के लिए एक बीघे जमीन पर गेंदे की खेती की थी। पूरी जमीन में पानी भर गया। मुझे भारी नुकसान की आशंका है। पूर्व मिदनापुर के खिराई में 3,000 हेक्टेयर जमीन पर फूलों की खेती होती है। ये क्षेत्र न केवल फूल बाजारों को गुलजार रखते हैं, बल्कि हजारों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। बाढ़ से 2,500 हेक्टेयर जमीन पर फूलों की खेती नष्ट हो गई है।नुकसान से उबरना मुश्किल: किसान
पूर्व मिदनापुर के कोलाघाट के एक किसान ने कहा कि उसने सर्दियों के फूलों के हजारों पौधे लगाए थे, वे सभी बह गए। मुझे नहीं पता कि मैं इस नुकसान से कैसे उबरूंगा। पूर्व और पश्चिम मिदनापुर को बंगाल की फूलों की घाटी कहा जाता है। इन जिलों से कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में फूलों की आपूर्ति हमेशा होती रहती है। राज्य बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर उगाए जाने वाले फूलों में अन्य मौसमी फूलों के अलावा गेंदा, रजनीगंधा, गुलाब और चमेली की किस्में बेली आदि शामिल हैं।नहीं कर पा रहे उच्च गुणवत्ता वाले फूलों की आपूर्ति
बंगाल के कुछ जिलों में गत दिनों आई बाढ़ का फूल व्यवसाय पर खासा असर पड़ा है। फूल कारोबारियों का कहना है कि इससे न केवल घरों को नुकसान हुआ बल्कि क्षेत्र के लोगों की आजीविका का साधन फूल उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। मेदिनीपुर के फूल उत्पादक श्यामल रजक ने बताया कि बाढ़ के कारण फूलों की फसल काफी हद तक खराब हो गई। वहीं बरसात के कारण भी बड़ी मात्रा में तैयार फूल खराब होने से कई उत्पादक उच्च गुणवत्ता वाले फूल की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। रजक ने बताया कि मांग के अनुरूप पर्याप्त उत्पादन न होने के कारण बाजार में विशेष रूप से अच्छे फूल की कमी हुई है।विष्णु कर्मकार ने बताया कि प्रदेश के कई जिलों में फूल का अच्छा उत्पादन होता है लेकिन सीजन के निकट समय में बाढ़ आने से तकरीबन 25 से 30 प्रतिशत तक फूलों की फसल खराब हो गई और इस साल नवरात्र में फूल पर्याप्त संख्या में नहीं हुए। उन्होंने बताया कि खराब मौसम के कारण तैयार फूल भी बाजार पहुंचने से पहले जल्दी खराब हो रहे हैं। कई क्षेत्रों से अच्छी क्वालिटी के फूल उपलब्ध नहीं रहने से ज्यादातर जगहों पर औसत दर्जे के फूल बिक रहे हैं।