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कोलकाता

बंगाल: फांसी के 20 साल बाद धनंजय के गांववाले मुखर, चलाया हस्ताक्षर अभियान

बलात्कार और हत्या के दोषी धनंजय चटर्जी को फांसी के 20 साल बाद बांकुड़ा जिले के गांववालों ने फिर से मामले की सुनवाई करने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने हस्ताक्षर अभियान चलाया। पूरे राज्य से हस्ताक्षर एकत्र कर राष्ट्रपति के पास भेजने की योजना है। ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति से यह मांग की जाएगी कि धनंजय के साथ अन्याय हुआ है। उसके मामले को फिर से सुनवाई करने का आदेश दें। मामले की फिर से सुनवाई होने पर सच्चाई सामने आ जाएगी।

कोलकाताDec 21, 2024 / 04:44 pm

Rabindra Rai

बंगाल: फांसी के 20 साल बाद धनंजय के गांववाले मुखर, चलाया हस्ताक्षर अभियान

बंगाल: फांसी के 20 साल बाद धनंजय के गांववाले मुखर, चलाया हस्ताक्षर अभियान

बलात्कार और हत्या का मामला: फिर से मामले की सुनवाई की मांग, सामूहिक हस्ताक्षर भेजकर राष्ट्रपति से की जाएगी अपील

बलात्कार और हत्या के दोषी धनंजय चटर्जी को फांसी के 20 साल बाद बांकुड़ा जिले के गांववालों ने फिर से मामले की सुनवाई करने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने हस्ताक्षर अभियान चलाया। पूरे राज्य से हस्ताक्षर एकत्र कर राष्ट्रपति के पास भेजने की योजना है। ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति से यह मांग की जाएगी कि धनंजय के साथ अन्याय हुआ है। उसके मामले को फिर से सुनवाई करने का आदेश दें। मामले की फिर से सुनवाई होने पर सच्चाई सामने आ जाएगी। महानगर की एक स्कूली छात्रा के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में धनंजय चटर्जी को 2004 में फांसी दी गई लेकिन, आरजी कर की पीडि़ता को लेकर हो रहे आंदोलन के दौरान फिर से धनंजय का मामला लोगों के जेहन में जीवित हो गया है। कोलकाता समेत उसके गांव के काफी लोग यह मान रहे हैं कि धनंजय के साथ अन्याय हुआ है।

‘धनंजय चटर्जी केस रिट्रायल मंच’ बनाया

धनंजय के गांववालों ने ‘धनंजय चटर्जी केस रिट्रायल मंच’ बनाया है। मंच का मानना है कि धनंजय निर्दोष हैं। जब तक मामले की फिर से सुनवाई नहीं होगी, उनका आंदोलन जारी रहेगा। मंच जनता के हस्ताक्षर जुटाकर मामले को फिर से सुनवाई की मांग को लेकर राष्ट्रपति से भी संपर्क करने जा रहा है। 5 मार्च 1990 को स्कूली छात्रा की हत्या ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया था। कोलकाता में स्कूली बच्ची का उसके ही आवास में बलात्कार कर बेरहमी से उसकी हत्या कर दी गई थी। धनंजय चटर्जी, जो उस आवास के सुरक्षा गार्ड प्रभारी था, जांच में एकमात्र आरोपी साबित हुआ। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। 14 साल की कैद के बाद अदालत के आदेश पर 15 अगस्त 2004 को उसे फांसी दे दी गई। घटना के बाद से ही धनंजय के गांव कुलुडीही समेत छतना के लोग कह रहे हैं कि धनंजय दोषी नहीं था। उसे फंसाया गया था। स्थानीय लोग कई बार यह मुद्दा उठा चुके हैं।

धनंजय चटर्जी के साथ अन्याय हुआ: मंच

आरजी कर को लेकर हो रहे आंदोलन के दौरान 34 साल पहले हुई स्कूली छात्रा की हत्या का मामला भी सामने आया। मंच का निर्माण मूल रूप से धनंजय के गांव के निवासियों की पहल से किया गया है। धनंजय चटर्जी केस रिट्रायल मंच के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने छतना बसुली मंदिर में पूजा कर मामले की दोबारा सुनवाई की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया। मंच का लक्ष्य राज्य भर से इन हस्ताक्षरों को एकत्र करके राष्ट्रपति को भेजना है। मंच के संयोजक चंद्रचूड़ गोस्वामी ने कहा कि हमें लगता है कि धनंजय चटर्जी के साथ अन्याय हुआ है। उसकी बलि इसलिये दी गई क्योंकि वह एक गरीब परिवार का लडक़ा था।

सच्चाई आ सकती है सामने: चक्रवर्ती

मंच ने स्कूली छात्रा हत्या मामले को फिर से खोलने का अनुरोध किया है। इस मुद्दे पर पहले ही विभिन्न स्तरों पर चर्चा हो चुकी है। गोस्वामी ने कहा कि हम मंच की ओर से लोगों से हस्ताक्षर एकत्र करेंगे और मामले को फिर से खोलने के लिए राष्ट्रपति को याचिका देंगे। अगर यह मामला दोबारा खोला जाता है, तो हमें यकीन है कि यह देश की त्रुटि-मुक्त न्याय प्रणाली में एक मील का पत्थर साबित होगा। मंच के सह-संयोजक और छतना निवासी जीवन चक्रवर्ती ने कहा कि हमने पार्टी संबद्धता की परवाह किए बिना इस मंच का निर्माण किया है। हम सभी सोचते हैं कि धनंजय चटर्जी निर्दोष था। अगर कोर्ट मामले को दोबारा खोले तो सच्चाई सामने आ जाएगी।

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