करोड़ों रुपए का कारोबार होता
घेवर निर्माताओं के एक अनुमान के अनुसार केवल कोलकाता महानगर में इसका करोड़ों रुपए का कारोबार होता है। बड़ाबाजार में घेवर निर्माता अजय जोशी ने कहा कि हालांकि यहां सभी तरह की बीकानेरी मिठाईयां बनने लगी है फिर भी कई लोग शौकिया रूप में यहां के साथ साथ अपनी सुविधानुसार 2 हजार किलोमीटर दूर बीकानेर से भी अपने परिचितों के साथ मंगवा लेते है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इसकी बिक्री तेज हो जाएगी जो मकर संक्रांति तक जारी रहेगी। जोशी ने कहा कि यह भी एक प्रकार से सीजन का समय है जिसमें कई लोग विशेष रूप में राजस्थानी समाज के लोग अस्थाई दुकान खोलकर व्यवसाय करते है।
हलवाई ने कहा, अपनी सांस्कृतिक पहचान
मिष्ठान्न विक्रेता के यहां कार्यरत हलवाई कान्हाराम ने कहा कि हालांकि इनकी अपनी सांस्कृतिक पहचान है और मकर संक्रांति के अवसर पर रिश्तेदारों तथा सगे संबंधियों के बीच आदान प्रदान करने की परंपरा है। हालांकि लोग मकर संक्रांति का इंतजार कर रहे हैं इसलिए अभी तक घेवर की बिक्री लय में नहीं आई है लेकिन खाने पीने के शौकीन लोगों ने अभी से इसका स्वाद लेना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि अब बनाने का काम शुरू हो गया हैं और बाजार में जल्द ही केसरिया घेवर, दूध घेवर, मलाई घेवर सहित अलग अलग वैरायटी के घेवर उपलब्ध हो जाएंगे। प्रवासी राजस्थानी बुजुर्ग रेवतमल काकड़ा ने कहा कि घेवर फिनी सर्दियों में खाने वाली बीकानेर की प्रसिद्ध और सांस्कृतिक मिठाईयां है। इनका न केवल सामाजिक स्तर पर आदान प्रदान होता है बल्कि लोगों द्वारा स्वास्थ्य और स्वाद के लिए भी बहुतायत में उपयोग किया जाता हैं।