हिंदुत्व एजेंडे की ओर भाजपा
भाजपा ने बहरमपुर में अयोध्या जैसा राम मंदिर बनाने के लिए भूमि की पहचान कर ली है और जनवरी 2025 में इसका निर्माण शुरू हो सकता है। यह प्रतीक भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे से निकटता से जुड़ा हुआ है। 10 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस राम मंदिर का उद्देश्य अयोध्या मंदिर के धार्मिक महत्व को प्रतिबिंबित करना है। पार्टी नेता बहरमपुर में प्रस्तावित मंदिर को सिर्फ एक पूजा स्थल से कहीं अधिक चित्रित कर रहे हैं। वे इसे बंगाल के हिंदू समुदाय की आकांक्षाओं के अनुरूप एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण बता रहे हैंं। भाजपा के बहरमपुर संगठनात्मक अध्यक्ष एस. सरकार ने कहा कि प्रस्तावित राम मंदिर बंगाल के करोड़ों हिंदुओं की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आकांक्षा है। दूसरी तरफ भाजपा से पहले मस्जिद की योजना की घोषणा करते हुए तृणमूल विधायक कबीर ने कहा कि यह क्षेत्र की महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक आबादी की भावनाओं का सम्मान होगा। 2025 तक, मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की तर्ज पर मस्जिद बनेगी।
मंदिरों के इर्द-गिर्द नरेटिव को आकार देने के प्रयास
बंगाल की जनसांख्यिकी विविधता इन मंदिरों के इर्द-गिर्द नरेटिव को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके मद्देनजर भाजपा बंगाल के हिंदू वोटों को एकजुट करने के प्रयास में हैं। भाजपा को तृणमूल के गढ़ को तोडऩे में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, तृणमूल की अल्पसंख्यकों, महिलाओं और ग्रामीण समुदायों पर मजबूत पकड़ है। राज्य में हिन्दुओं की संख्या लगभग 70 से 72 प्रतिशत और अल्पसंख्यक लगभग 27-28 प्रतिशत है। जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर दीघा में मंदिर हिंदुओं तक पहुंचने की तृणमूल की कोशिश उसके रणनीतिक बदलाव का संकेत देती हैं। हालांकि, तृणमूल के पिछले शासन से निराश हिंदू मतदाताओं के लिए भाजपा की मंदिर परियोजना धार्मिक पहचान की अधिक प्रामाणिक अभिव्यक्ति प्रदान करती प्रतीत हो सकती है।
ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही पार्टियां
राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि भाजपा और तृणमूल, दोनों पार्टियों की रणनीति बंगाल के राजनीतिक भविष्य के प्रमुख और साफ संकेतक है। दोनों पार्टियां बंगाल में ध्रवीकरण की कोशिश कर रही है। दोनों पार्टियां राज्य में अपनी चुनावी स्थिति को मजबूत करने के लिए धार्मिक प्रतीकों को भुनाने की कोशिश कर रही हैं। इन परियोजनाओं का प्रभाव निश्चित रूप से विश्वास, पहचान और शक्ति की बदलती गतिशीलता को प्रतिबिंबित करेगा।
धार्मिक स्थल करते हैं लाखों लोगों को आकर्षित
दशकों के राजनीतिक और कानूनी संघर्ष के बाद अयोध्या में निर्मित राम मंदिर भारतीय राजनीति में हिंदुत्व के उदय के प्रतीक के रूप में खड़ा है। इसकी भव्य वास्तुकला और महत्व इसे भक्तों के लिए एक सांस्कृतिक चुंबक की तरह है। इसी तरह, 12वीं सदी का चमत्कार पुरी जगन्नाथ मंदिर, हिंदू धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है, जो अपनी वार्षिक रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक स्थल लोगों को आमतौर पर आकर्षित करते हैं।