देववृक्ष पारिजात अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। यही स्थिति बनी रही तो अगले एक दशक में देववृक्ष कहे जाने वाले पारिजात का नामो-निशान मिट जाएगा। कल्पवृक्ष सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने प्रदेश व केंद्र सरकार से इसके संरक्षण के लिए ठोस पहल करने की मांग की है, लेकिन वन विभाग और उद्यान विभाग के बीच तकरार से देववृक्ष का संरक्षण नहीं हो पा रहा है।
देव वृक्ष का संरक्षण नहीं होने से शाखाएं अपना मूल स्वरूप खोती जा रही हैं। कल्पवृक्ष सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि पूर्व में उद्यान विभाग, तो कभी वन विभाग को इसके रख-रखाव और बेहतरी का दायित्व दिया गया, लेकिन कभी बजट और कभी दायित्व का हवाला देकर अफसर पल्ला झाड़ते रहे हैं। इससे इसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।
कल्पवृक्ष सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष अंकित श्रीवास्तव, रमेश सिंह टिन्नू, आशीष सिंह, सुदामा प्रसाद यादव, अंजनी श्रीवास्तव, रवि त्रिपाठी, रवि कुमार, विकास चौरसिया, अभिनय, दुर्गेश सोनी, विशाल तिवारी, अनिल सिंह, आदित्यराज, तिवारी पंडित, रवींद्र जायसवाल और आशीष सिंह ने प्रदेश सरकार से देववृक्ष के संरक्षण की मांग की है। इन सबका कहना है कि यदि इस दुर्लभ प्रजाति के देववृक्ष का तत्काल संरक्षण नहीं किया गया तो यह देववृक्ष विलुप्त हो जायेगा।