शादी के बाद भी पढ़ाई का सिलसिला जारी रखा और अब संस्कृत शिक्षा की वरिष्ठ अध्यापक भर्ती में पहली रैंक हासिल कर इतिहास रचा है। यह कहानी है चूरू जिले के सरदारशहर इलाके के कुन्तलसर गांव निवासी कृष्णा प्रजापत की।
प्रजापत ने बताया कि बीएड की पढ़ाई पूरी होने के बाद लक्ष्य तय किया सरकारी शिक्षक बनने का। इसके लिए गांव में ही 2016 की शिक्षक भर्ती की तैयारी शुरू हुई, लेकिन सफलता नहीं मिली। असफलता से हार मानने के बजाय 2018 की शिक्षक भर्ती की तैयारी शुरू कर दी। इसमें कुछ अंकों से रहने की वजह से मन में आत्मविश्वास आया कि अब सफलता के नजदीक हूं इसलिए और दोगुने उत्साह से तैयारी शुरू कर दी।
पेपर लीक हुआ तो नींद नहीं आई
रीट 2021 की परीक्षा में कृष्णा प्रजापत ने काफी अच्छे अंक हासिल किए लेकिन जब पता लगा कि
पेपर लीक की वजह से भर्ती रद्द हो सकती है तो फिर पूरी रात नींद नहीं आई। इसके बाद वह अगली भर्ती की तैयारी में जुट गई। 2023 की शिक्षक भर्ती में कृष्णा को पहली सफलता मिली और अलवर जिले में पदस्थापन हुआ।
फिर आठवीं और पहली रैंक पर कब्जा
रीट में सफलता से उत्साहित कृष्णा ने फिर बड़े लक्ष्य को लेकर तैयारी शुरू की। इसके बाद सामान्य शिक्षा में हिन्दी विषय के पद पर प्रदेश में आठवीं रैंक हासिल की। वहीं पिछले दिनों जारी संस्कृत शिक्षा हिन्दी विषय के परिणाम में कृष्णा ने पूरे प्रदेश में पहली रैंक हासिल की है। उन्होंने सफलता का श्रेय प्रयास संस्थान के मानद निदेशक महिपाल सिंह को दिया है। उन्होंने बताया कि जब भी हौसला कमजोर होता तो संस्थान के शिक्षकों ने हमेशा हौसला बढ़ाया।
सीख: असफलता परीक्षा लेगी, लेकिन हार मत मानो
कृष्णा कुमारी प्रजातत ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि वर्तमान दौर में युवाओं के आत्मविश्वास में कमी आ रही है। एक बार ही असफलता मिलते ही वह धैर्य खो देते है। यदि युवा ठान लें तो लक्ष्य की राह में चुनौती आ सकती है और असफलता भी मिलेगी। लेकिन लगातार मंजिल की तरफ दौड़ने वालों को एक दिन सफलता जरूर मिलती है।