बयान किया अपना दर्द जब मजदूरों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार का उन पर कोई ध्यान नहीं है। उन्हें सरकार द्वारा चलाई गई किसी भी योजना का लाभ नहीं मिला है। उनको प्रतिदिन जो मजदूरी मिलती है, उससे केवल परिवार के खाने-पीने का ही खर्च चलता है। बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती है। एक अन्य ने कहा कि मजदूरी करना मजबूरी है। कोई रोजगार नहीं है। मजदूर दिवस के बारे में उनको नहीं पता है। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं मिला है। वे अभी झोपड़ी में रह रहे हैं। एक मजदूर ने बताया कि 1 हजार ईंटों के लिए उनको 500 रुपये मिलते हैं। उससे वे बच्चों का पेट भरते हैं।
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