गगनेंद्र ने अगले दिन नामांकन फार्म खरीदने का ऐलान किया। कहा, अगर भाजपा ने तीन दिन में टिकट वितरण का आधार बनी सर्वे रिपोर्ट उनसे साझा नहीं तो वे फिर भाजपा के बागी हैं। अचानक ऐसा कौन सा सर्वे आ गया कि मुझे टिकट न देकर नागेंद्र सिंह को टिकट दे दी गई। भाजपा प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह को भी निशाने पर लिया। कहा, जब पार्टी को काम निकलवाना होता है तो हम जैसे कार्यकर्ताओं की जरूरत पड़ती है टिकट की बारी आती है तो राजा को दिया जाता है।
ऋषभ के भी तेवर तल्ख
जिला भाजपा के महामंत्री ऋषभ सिंह नागौद से भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। रविवार को उनके समर्थकों ने भी नाराजगी जाहिर की। ऋषभ के भी सुर पार्टी के इस निर्णय के खिलाफ तल्ख हो रहे थे। हालांकि सांसद गणेश सिंह उनके घर पहुंचे और नाराजगी काफी हद तक दूर कर दी।
रानी का इस्तीफा
रैगांव विधानसभा से भाजपा से टिकट की दावेदार रहीं रानी बागरी ने टिकट न मिलने नाराज होकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कहा है कि उप चुनाव में जब पूरी सरकार साथ खड़ी थी, तब जो प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका उसे पुन: टिकट दिया गया है। इससे जनता एवं संगठन में पार्टी के प्रति असंतोष गहरा गया है। ऐसी स्थिति में पार्टी के लिए काम करने में सक्षम नहीं हूं।
मैहर विधानसभा से कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे रामनिवास उरमलिया भी खुद को टिकट से वंचित किए जाने से नाराज हैं। दिल्ली से मैहर पहुंचने पर उन्होंने अपने समर्थकों के साथ असंतोष की ताकत दिखाने झुकेही से मैहर तक मार्च किया। हालांकि उन्होंने यह कहा कि वे अंतिम निर्णय अजय सिंह पर छोड़ते हैं। वो जैसा कहेंगे वैसे आगे की रणनीति तय की जाएगी।
सिंगरौली: विधायक चुनाव में नहीं करेंगे फील्डिंग, दर्शक बनकर देखेंगे मैच
इधर, सिंगरौली भाजपा की ओर से टिकट की घोषणा के बाद ऊर्जाधानी में सियासी हलचल तेज हो गई है। तीनों विधायकों के टिकट कटने से पार्टी के जिला स्तरीय पदाधिकारी दो खेमे में बंटते नजर रहे हैं। सिंगरौली और देवसर विधायक ने रविवार को पार्टी के कई पदाधिकारियों से मुलाकात की और विमर्श मांगा। सिंगरौली विधायक रामलल्लू वैश्य की ओर से सुबह से लेकर शाम तक एक के बाद एक कई बयान आए। एक ओर जहां उनका कहना रहा कि उनकी छवि को खराब मानते हुए पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। ऐसे में उनके द्वारा चुनाव प्रचार करना उचित नहीं है। दलील है कि प्रत्याशी चुनाव हारता है तो उन पर चुनाव हराने का आरोप लग जाएगा। ऐसे में चुनाव प्रचार अभियान से अलग रहेंगे। साथ ही जनता से राय लेकर आगे क्या करना है, इस संबंध में निर्णय लेंगे। देवसर विधायक सुभाष रामचरित्र वर्मा ने कहा कि पार्टी ने पूरे संभाग में रविदास समाज की उपेक्षा की है। संभाग के एक भी जिले में प्रतिनिधित्व का मौका नहीं दिया है। बोले कि समाज की बैठक बुलाएंगे और समाज के निर्देशानुसार आगे क्या करना चाहिए, तय करेंगे। इधर, चितरंगी विधायक अमर सिंह ने चुप्पी साध रखी है।