4 मार्च को भर्ती कराया दरअसल, सीधी जिले के गिजवार में बाइक फिसल जाने से सौरभ विश्वास घायल हो गए थे। 4 मार्च को उन्हें संजयगांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाहरी चोट अधिक नहीं थी, लेकिन पेट में दर्द बना हुआ था। चिकित्सकों ने बताया, किडनी में खून जमा हो गया है। ऑपरेशन करना पड़ेगा। घायल व उनके परिजन रीवा में किडनी का ऑपरेशन कराने को तैयार नहीं थे। लिहाजा, रेफर कराकर कोलकाता चले गए।
बिना सत्यापन पोस्टमार्टम के लिए भेजी जानकारी वार्ड में मृत होने वाले मरीजों का सत्यापन उनके दस्तावेजों व परिजनों द्वारा दी जाने वाली जानकारी के आधार पर किया जाता है। चिकित्सकों ने आकस्मिक चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को सूचना दी। जहां से पुलिस को जानकारी भेज दी गई और पोस्टमार्टम से पहले पंचनामा तैयार करने के लिए कहा गया। जब पता चला कि संबंधित व्यक्ति जिंदा है तो हड़कंप मच गया। पुलिस कर्मचारियों ने तुरंत वार्ड पहुंचकर त्रुटि सुधार कराई। जानकारी मिली है कि सिंगरौली जिले के चितरंगी की किसी महिला की मौत हुई थी, उसकी जगह वार्ड के चिकित्सकों ने दूसरे मरीज की जानकारी पोस्टमार्टम के लिए भेज दी।
– फोन पर बोला, साहब जिंदा हूं संजयगांधी अस्पताल में स्थित पुलिस चौकी के एएसआइ ने जब पंचनामा व पोस्टमार्टम के लिए परिजनों को फोन किया तो उन्होंने बताया कि वह तो जिंदा है। पुलिसकर्मी ने सौरभ विश्वास से बात की कराई। तभी भरोसा नहीं हुआ तो कहा, वीडियो काल करिए। इसके बाद भी पुलिस की शंका दूर नही हुई तो उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने और वहां से डिस्चार्ज होने के दस्तावेज भी पुलिस को भेजे। इसके बाद पुलिस ने वार्ड में जाकर पुष्टि की और मर्ग रिपोर्ट को कैंसिल कराया।
कोरोना काल में शव बदलने पर हो चुका है बवाल संजयगांधी अस्पताल में इसके पहले भी ऐसी लापरवाही सामने आती रही है। कोरोना काल में एक शव बदल जाने से बड़ा बवाल हुआ था, कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन हुआ था। मऊगंज के एक युवक की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हुई थी। परिजनों को पहचान के लिए बुलाया गया तो शवगृह में संबंधित युवक का शव ही नहीं था। बाद में पता चला कि किसी व्यापारी के नाम पर उसका शव अंतिम संस्कार के लिए भेजा गया था। मृतक के परिजन लगातार मांग करते रहे कि उन्हें शव दिलवाया जाए। इस मामले में तत्कालीन संभागायुक्त ने वार्ड के प्रभारी डाक्टर राकेश पटेल को निलंबित कर दिया था। इस घटनाक्रम की वजह से अस्पताल का नाम प्रदेशभर में खराब हुआ था। अब नए घटनाक्रम ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
2 घंटे के भीतर दिए छह इंजेक्शन चोट की वजह से उपचार के लिए संजयगांधी अस्पताल में चार मार्च को भर्ती हुआ था। डाक्टर्स ने ऑपरेशन करने के लिए नली लगा दी और दो घंटे के भीतर छह इंजेक्शन दिए। जबकि, पूरी तरह स्वस्थ था। इसलिए वहां पर उपचार कराने की बजाय कोलकाता आ गया हूं। सुबह पुलिस का फोन आया था कि मृत हो गए हो, पोस्टमार्टम कराना है। उन्हें अपने जीवित होने का प्रमाण दिया है। इस लापरवाही पर कार्रवाई होना चाहिए।
सौरभ विश्वास, घायल किसी महिला की मौत हुई थी अस्पताल की ओर से सौरभ विश्वास के मृत होने की जानकारी आई थी। पुष्टि के लिए फोन किया था तो संबंधित ने बताया कि वह जिंदा है। जब वार्ड में पता किया तो बताया गया किसी महिला की मौत हुई थी, पर्ची बदल गई है। मर्ग कायम नहीं किया है।
आईपी पटेल, चौकी प्रभारी संजयगांधी अस्पताल एमएलसी के लिए भेजा था यह मामला संज्ञान में आने के बाद पता किया तो जानकारी सामने आई है कि एक्सीडेंट से जुड़ा प्रकरण होने की वजह से एमएलसी के लिए पुलिस के पास भेजा गया था। इसमें कंफ्यूजन कहां हुआ, विस्तृत जांच के बाद ही पता चलेगा।
डॉ. अवतार सिंह, संयुक्त संचालक संजयगांधी अस्पताल रीवा