गांव के दलित समाज के लोगों ने यह निर्णय गुरुवार को शब्बीरपुर गांव में ही आयोजित एक बैठक में किया। इस बैठक में मौजूद रहे सुरेश कुमार ने बताया कि 13 जनवरी को उन्होंने डाक विभाग के माध्यम से अफसरों को एक पत्र भेजकर गांव में रविदास जयंती निकालने की अनुमति मांगी लेकिन प्रशासन का ढुलमुल रवैया सामने आ रहा है और अभी तक 13 जनवरी को भेजे गए पत्र पर कोई निर्णय प्रशासन की ओर से नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ने अनुमति नहीं दी और परंपरागत तरीके से हमें जयंती नहीं मनाने दी गई और शोभा यात्रा नहीं निकालने दी गई तो सभी सामूहिक रूप से अपना धर्म परिवर्तन कर लेंगे। प्रशासन को चेतावनी देने वालों में भास्कर श्याम सिंह दिनेश कुमार दलसिंह शिमला और उर्मिला समेत अन्य लोग शामिल थे इस चेतावनी के बाद अब प्रशासन ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है।
बता दें कि शब्बीरपुर वही गांव है जहां शोभा यात्रा के विरोध के दौरान बवाल हो गया था। आगजनी हो गई थी और पूरे जिले में जातीय हिंसा भड़क उठी थी। इस घटना के बाद से शब्बीरपुर में जयंती मनाई गई लेकिन शोभा यात्रा का रूट बदल दिया गया था। अब ग्रामीण परंपरागत तरीके से शोभायात्रा मनाए जाने की मांग कर रहे हैं, यानी पुराने रूट से ही शोभायात्रा निकालने की बात कह रहे हैं। ऐसे में प्रशासन को आशंका है कि कहीं फिर से विवाद ना हो जाए।