क्या है पूरा मामला ?
नाम नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा बानी उर्फ जावेद इकबाल। सहरानपुर पुलिस और ATS की टीम ने इसे श्रीनगर से गिरफ्तार किया। पुलिस ने उससे करीब 10 घंटे तक पूछताछ की। पूछताछ में नजीर अहमद ने कई खुलासे किए। वो दंगे से पहले देवबंद में ही रहता था। अयोध्या का ढांचा गिराए जाने के बाद वो साम्प्रदयिक ढंगे भड़काया था।
पीओके और अफ़ग़ानिस्तान में ली ट्रेनिंग
पूछताछ में जावेद ने बताया कि साल 1989 से 1991 तक उसने पकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और अफ़ग़ानिस्तान में ट्रेनिंग ली थी। वही पर वो ग्रेनेड फेकना सीखा था। वहां से वो पकिस्तान गया और उसके बाद गोवा। गोवा से वो लॉकर देवबंद आ गया। देवबंद वो पढ़ने के लिए आया था। एडमिशन नहीं मिलने पर टोपी बेचने लगा।
कई दफे हुए सेना से मुठभेड़
पूछताछ में सामने आया कि जावेद के कई दफे भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ हुए लेकिन वो हर बार सेना को चकमा देकर निकलता रहा। साल 1993 में ग्रेनेड फेकने के बाद उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। साल 1994 में वो मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के आधार पर जमानत पर बाहर आ गया। 1994 दाखिल हुई चार्जशीट
17 जून 1994 को कोर्ट में चाजर्शीट दाखिल की गई। तारीख पर न जावेद नहीं आया। इसके बाद लगातार वारंट जारी होता रहा। नजीर कोर्ट में पेश नहीं हुआ। 20 सितंबर 2024 को स्थाई वारंट जारी हुआ इसके बाद पुलिस उसकी तलाश में लग गई और श्रीनगर से गिरफ्तार कर लिया।