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Maharashtra Assembly Elections: EVM खुलने से पहले ही, CM पद पर खटपट शुरू

Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र महायुति और एमवीए दोनों गठबंधनों ने ईवीएम खुलने से पहले ही अपनी-अपनी बड़ी जीत के दावों के साथ ही सरकार बनाने के लिए घेराबंदी और बाड़ाबंदी की तैयारियां कर ली है। पढ़िए दौलतसिंह चौहान की विशेष रिपोर्ट

मुंबईNov 23, 2024 / 07:53 am

Shaitan Prajapat

Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र महायुति और एमवीए दोनों गठबंधनों ने ईवीएम खुलने से पहले ही अपनी-अपनी बड़ी जीत के दावों के साथ ही सरकार बनाने के लिए घेराबंदी और बाड़ाबंदी की तैयारियां कर ली है। इस उतावलेपन के चलते मुख्यमंत्री पद को लेकर भी दोनों ही तरफ खटपट सुनाई देने लगी है। किसी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलेगा या नहीं, यह तो आज दोपहर बाद ही चलेगा, लेकिन सरकार बनाने की तैयारियां मतदान खत्म होते ही शुरू हो गई। सरकार का गठन 26 नवंबर से पहले होना जरूरी है।

फड़णवीस व तावड़े को संयुक्त जिम्मा

महायुति के सबसे बड़े चेहरे भाजपा नेता व उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने तो मतदान खत्म होने के तुरंत बाद संघ मुख्यालय जाकर संघ प्रमुख मोहन भागवत और पूर्व महासचिव भैयाजी जोशी से करीब आधा घंटे तक मंत्रणा कर ली। भाजपा ने भी फड़णवीस और कैश फोर वोट कांड से सुर्खियों में आए अपने महासचिव विनोद तावड़े को सरकार बनाने का जिम्मा सौंप दिया। फड़णवीस और तावड़े समान विचारधारा वाले अन्य दलों के नेताओं और निर्दलीयों से सम्पर्क कर रहे हैं, जिस पर शिवसेना उद्धव के नेता संजय राउत ने कहा है कि जीत सकने वालों के भाजपा रिश्वत ऑफर कर रही है।

शिवकुमार सक्रिय, बाड़ेबंदी की तैयारी

इधर, महा विकास अघाड़ी में कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री डीके शिव कुमार को सरकार बनाने के प्रयासों में सक्रिय कर दिया है। परिणाम आने के बाद खरीद-फरोख्त के प्रयासों में कांग्रेस के विधायकों को ही सबसे बड़ा खतरा मानते हुए तो कांग्रेस ने तो एक कदम और आगे जाकर प्रत्याशियों की बाड़ाबंदी की तैयारी कर ली है। पार्टी प्रभारी रमेश चेन्नीथल्ला ने शिवकुमार को जिम्मेदारी सौंपी है कि वे जरूरी फैसले लें और जरूरत पड़ने पर कांग्रेस के विधायकों को कर्नाटक शिफ्ट करें। शिवसेना शिंदे के संजय राउत ने भी कहा कि खरीद फरोख्त के खतरे को देखते हुए विधायकों के उनके निर्वाचन क्षेत्र से लाकर एक जगह रखा जाएगा।
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सीएम पद को लेकर खींचतान दोनों तरफ

भाजपा दिखा रही है कि उसका पूरा फोकस पहले महायुति की सरकार बनाना है। मुख्यमंत्री के नाम पर समय आने पर बात की जाएगी। लेकिन फड़णवीस और विनोद तावड़े की अगवाई में शुरू की गई सरकार बनाने की कवायद में गठबंधन के सहयोगी शिवसेना शिंदे और एनसीपी अजित को शामिल नहीं किए जाने से महायुति में अंदरूनी खटपट की भी चर्चा है। उधर,
एमवीए में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी शरद सांसद सुप्रिया सुले के सीएम पद को लेकर दिए गए बयानों को लेकर शिवसेना उद्धव की आपत्ति से दरार चौड़ी होती दिखाई दे रही है। इन दोनों बयानों पर कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी अघाड़ी की गाड़ी को पटरी से उतारती लग रही है। इसी तरह भाजपा ने सीएम पद को लेकर अपने स्तर पर तैयारी शुरू करके सहयोगियों में अविश्वास का बीज बो दिया है।

त्रिशंकु विधानसभा भी संभव

दावों के मुताबिक किसी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलेगा या नहीं पर एक बात बिलकुल साफ है कि सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी। दूसरे नंबर पर कांग्रेस रह सकती है। दोनों एनसीपी में लोकसभा चुनाव की तरह चाचा शरद पवार के आगे रहेंगे। असली फैसला दोनों शिवसेना के बीच मुकाबले का नतीजा करेगा। वैसे महायुति में अजित की एनसीपी को तो अघाड़ी में उद्धव की शिवसेना को कमजोर कड़ी माना जा रहा है। ऐसे में संभव है कि तमाम दावों के बावजूद दोनों में से कोई गठबंधन 145 का जादुई आंकड़ा न छू पाए। ऐसी परिस्थिति बनी तो राजनीति शनिवार शाम से ही महाराष्ट्र राजभवन शिफ्ट हो जाएगी। सरकार बनाने को लेकर फैसले महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन का करेंगे। महाराष्ट्र के मतदाताओं के बाद सबसे बड़ी उलझन से राज्यपाल रूबरू होंगे, जो तमिलनाडु भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं।

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