दोनों खबरों में काफी विरोधाभास है। एक ओर जहां इन आरोपित शिक्षण संस्थानों ने सहारनपुर का नाम खराब किया है वहीं दूसरी ओर इन किसानों की वजह से सहारनपुर के लोग आज खुग काे गाैरान्वित महसूस कर रहे हैं। जिले में जल्द से जल्द विश्वविद्यालय बन सके इसी सोच के साथ सहारनपुर के 50 किसानों ने अपनी 40 एकड़ जमीन बेहद कम मुआवजे पर दी है। दरअसल सहारनपुर विश्वविद्यालय के लिए शुरुआत में कम से कम 40 एकड़ जमीन की आवश्यकता थी। सरकार की ओर से पुवारंका डिग्री कॉलेज के पास 50 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया और इस अधिग्रहण में सरकार के नुमाइंदों की ओर से महज 28 लाख प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसानों का मुआवजा तय किया गया।
अच्छी बात यह है कि, किसानों ने इस मुआवजे पर कोई भी सवाल नहीं उठाए और केवल इसलिए कि सहारनपुर में शिक्षा का अलख जग सके जिले की युवा पीढ़ी काे यूनिवर्सिटी मिल सके और यहां की युवा पीढ़ी को शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों तक न भटकना पड़े। इसी सोच के साथ भूमि पुत्रों ने अपनी 40 हेक्टेयर भूमि महज 28 लाख रुपये प्रति हेक्टर के हिसाब से दे दी। इन किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे किसान मदन सिंह ने कहा कि इन सभी 40 किसानों की वजह से आज पूरा सहारनपुर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है और आने वाले समय में इन किसानों का नाम इतिहास में दर्ज होगा। जब-जब सहारनपुर यूनिवर्सिटी की बात होगी तो इन 40 किसानों का नाम आएगा।