दरअसल शिवाजी वार्ड में वर्ष 2005 से पानी की टंकी का निर्माण किया गया था, जो फरवरी 2009 में बनकर तैयार हो गई थी। इस पानी की टंकी का निर्माण केके सोनी नाम की निर्माण एजेंसी ने किया था जो 45 लाख की लागत से बनाई गई थी। पानी की टंकी की क्षमता 90 लाख लीटर है। टंकी निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखे जाने के कारण उसमें जगह-जगह से पानी का रिसाव होने लगा था। जिसके कारण उसे करीब तीन साल पहले बंद कर दिया गया। लेकिन उसे फिर से चालू कराने के लिए नपा ने इसका काम ओम कंस्ट्रक्शन नाम की कंपनी के लिए दिया है। जिसके लिए नपा ने पहले इस टंकी को 90 लाख लीटर पानी से भरा। इसके बाद इसमें यह जांच की गई गई कि टंकी में कहां-कहां से लीकेज है। टेस्टिंग के समय ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां से पानी का रिसाव न हो रहा हो। टेस्टिंग के नाम पर ही टंकी से 90 लाख लीटर पानी बर्बाद कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि टंकी सालों से बंद होने के कारण जर्जर भी हो चुकी है यदि मरम्मत कार्य के बाद इसे चालू किया जाता है तो यह नहीं कहा जा सकता है कि यह टंकी कितने दिन सही सलामत रहेगी। इस कार्य को कराने में एक बार फिर से लंबा चौड़ा बिल मरम्मत के नाम पर निकालने की तैयारी है।
पांच वार्डों में होती है सीधे फिल्टर से सप्लाई बताया जा रहा है कि पूर्व में इस टंकी से शहर के शिवाजी वार्ड, नानक वार्ड, इंदिरा गांधी वार्ड, भगतसिंह वार्ड सहित कुछ अन्य जगहों पर पानी सप्लाई किया जाता था। लेकिन टंकी बंद होने के बाद से यहां पर सीधे फिल्टर प्लांट से पानी सप्लाई किया जाने लगा। जिसके लिए करीब सात से आठ घंटे का समय लगता है। अधिकारियों का मानना है कि टंकी से पानी सप्लाई होने से फिल्टर प्लांट से पानी की सप्लाई नहीं करनी पड़ेगी और इन वार्डों में पानी पहुंचाने में कम समय लगेगा। वहीं कुछ कर्मचारियों की माने तो भगतसिंह वार्ड में बिना फिल्टर प्लांट से पानी सप्लाई किए बिना काम पानी की आपूर्ति नहीं की जा सकेगी।
फैक्ट फाइल टंकी का निर्माण – 2009 लागत – 45 लाख
जर्जर होने सप्लाई बंद – तीन साल से
टंकी की क्षमता – 9 लाख लीटर