ठंड में भी बॉडी हो जाती है डीहाइड्रेट
खून को पतला रखने के लिए पानी की भूमिका पर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रियांक जैन ने कहा कि इसके कोई वैज्ञानिक तथ्य तो नहीं हैं लेकिन उनका मानना है कि ठंड के समय कम पानी पीने से भी बॉडी डीहाइड्रेट हो जाती है, जिससे हार्ट स्ट्रोक की संभावना बन सकती है। ठंड में भी सामान्य दिनों की तरह पानी लिया जाए। विशेषज्ञों की माने तो सोने से 2 से 3 घंटे पहले खाना खाएं, ताकि ज्यादा से ज्यादा पानी पी सकें। ज्यादा तरल लेने से हार्ट-ब्रेन स्ट्रोक रोकने में मदद मिल सकती है।कार्डियोलॉजिस्ट-एमडी मेडिसिन डॉक्टर्स के यहां भी पहुंच रहे मरीज
जिला अस्पताल व बीएमसी के मेडिसिन विभाग में 15-20 मरीज रोज हार्ट की समस्या के पहुंच रहे हैं, सरकारी अस्पतालों में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर्स नहीं हैं, इसलिए शहर के 3 कार्डियोलॉजिस्ट की क्लीनिक पर सुबह से शाम तक मरीजों की भीड़ लग रही है। समय पर इलाज मिले इसलिए एमडी मेडिसिन डॉक्टर्स के यहां भी रोज 20-30 मरीज पहुंच रहे हैं।सुबह-सुबह ज्यादा आता है स्ट्रोक
एमडी मेडिसिन डॉ. मनीष जैन की माने तो ब्लड प्रेशर के मरीजों को ठंड में स्ट्रोक सुबह 2 से 6 बजे के बीच ज्यादा आता है। ब्लड प्रेशर सामान्य रखने के लिए मेडिसिन लें। 40 साल की उम्र के बाद नियमित जांच कराएं। घबराहट, सीने में दबाव या जकड़न, जबड़े में दर्द, चलने-फिरने पर सीने में दर्द व सांस फूलने की शिकायत हो, तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं।ठंड के सीजन में बदलें दिनचर्या
-खाने के बाद टहलने और व्यायाम से हार्ट पर दबाव पड़ता है।-सर्दियों में ज्यादा शराब हार्ट के लिए हानिकारक।
-चीनी के बजाय गुड़ का उपयोग किया जाए।
-तिल में फाॅस्फोरस और कैल्शियम होता है, इसे खाना चाहिए।
-नियमित व्यायाम करें, पोषक तत्वों से भरपूर भोजन व पूरी नींद लें।
-सुगर-बीपी के मरीज नियमित दवा लें।
-सुबह देर से टहलने जाएं।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
-चेहरे, हाथ-पैर में अचानक से कमजोरी आना-बोलने-समझने में कठिनाई होना।
-आंखों के सामने धुंधला दिखाई देना।
-सिर में तेज दर्द होना।
हार्ट स्ट्रोक के संकेत
-सीने में दर्द महसूस होना-हार्ट तरफ का कंधा व हाथ में दर्द।
-पसीना आना और घबराहट होना।
-जबड़े में दर्द महसूस होना।
-चलने-फिरने पर सीने में दर्द व सांस फूलना।