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दिन में स्कूल की कक्षा तो रात में बन जाता है छात्रावास, फिर भी हौसले हैं बुलंद

पुलिस लाइन में स्थित है छात्रावास, जगह की कमी के चलते इसी बिल्डिंग में संचालित होता है स्कूल सागर. शहर के पुलिस लाइन स्थित शासकीय नेताजी सुभाषचंद्र बोस बालक आवासीय छात्रावास में करीब 94 बच्चे छोटी से उम्र से रह रहे हैं। बचपन में ही इन बच्चों के माता-पिता का साथ छूट गया। छोटी उम्र […]

सागरJan 03, 2025 / 08:19 pm

नितिन सदाफल

पुलिस लाइन स्थित शासकीय नेताजी सुभाषचंद्र बोस बालक आवासीय छात्रावास

पुलिस लाइन स्थित शासकीय नेताजी सुभाषचंद्र बोस बालक आवासीय छात्रावास

पुलिस लाइन में स्थित है छात्रावास, जगह की कमी के चलते इसी बिल्डिंग में संचालित होता है स्कूल

सागर. शहर के पुलिस लाइन स्थित शासकीय नेताजी सुभाषचंद्र बोस बालक आवासीय छात्रावास में करीब 94 बच्चे छोटी से उम्र से रह रहे हैं। बचपन में ही इन बच्चों के माता-पिता का साथ छूट गया। छोटी उम्र में अनाथ हुए तो परिवार के लोगों ने उन्हें अनाथ आश्रम में छोड़ दिया। अब ये पुलिस लाइन स्थित छात्रावास में रह रहे हैं। अपने आसपास पुलिस की मौजूदगी के कारण अब हर बच्चे के मन में पुलिस वाला बनने का सपना है। यहां छात्रावास के स्थान पर ही स्कूल का संचालन होता है। स्कूल और छात्रावास के संचालन के लिए केवल 7 कमरे हैं, जिसमें से स्टाफ रूम, किचिन और स्टोर रूम भी इसी में शामिल है। दिनभर बच्चे जिस जगह पर पढ़ाई करते हैं, रात होते ही वहीं गद्दा बिछाकर सो जाते हैं। जगह की कमी के चलते, इन्हें सोने के लिए पलंग और अलमारी का इंतजाम नहीं है।
छात्रावास में हर बच्चे के लिए अपना सामान रखने के लिए एक पेटी दी गई है, जिसमें वह अपना सामान रखते हैं। पेटी की चाबी वे संभालकर रखते हैं। सुबह से इसी जगह पर स्कूल संचालित होता है। सुबह नाश्ता और दोपहर में यहीं पर बच्चों का खाना दिया जाता है। छोटे-छोटे बच्चे को पढ़ाई से संबंधित पूरा कोर्स याद है, लेकिन जगह की कमी से परेशानी होती है। छात्रावास में टीन शेड लगा हुआ है। पलंग न होने की वजह से ठंड में अधिक सर्दी परेशान करती है। गर्मी में टीन ज्यादा तपता है।

ये बोले छात्र

पुलिस अधिकारी बनना चाहते हैं देव

पांचवीं कक्षा के देव यादव ने बताया कि वह पहली कक्षा से यहां रहकर पढ़ाई कर रहा हूं। अब पांचवीं कक्षा में आ गया है। देव ने कहा कि वह बड़ा होकर पुलिस अधिकारी बनना चाहता है। बचपन में ही माता-पिता का निधन हो गया था।
मजदूरी के चले गए माता-पिता

छात्र देव मनोहर अहिरवार ने बताया कि माता-पिता के पास पैसे नहीं थे। मजदूरी करने के लिए उन्हें शहर छोडक़र जाना पड़ा। वे कहीं बाहर मजदूरी कर रहे हैं और मुझे यहां छोड़ गए हैं। मैं यहां अच्छी पढ़ाई करके पुलिस में जाना चाहता हूं।
अच्छी सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे हैं

छात्रावास में खाना, पानी और शिक्षा की सभी अच्छी व्यवस्थाएं हैं। केवल थोड़ी जगह की कमी है। हमारे पास जो जगह है, हम उसमें बच्चों को अच्छी सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे हैं।
आबिद खान, छात्रावास अधीक्षक

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