गरुड़ पुराण में इस बात का जिक्र मिलता है कि घर में किसी की मृत्यु के बाद जब तक व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता तब तक उस घर में पूजा नहीं होती और ना ही चूल्हा जलाया जाता है। क्योंकि गरुड़ पुराण के अनुसार जब तक किसी मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं होता तब तक उसकी आत्मा को सांसारिक मोह-माया से मुक्ति नहीं मिल पाती है और वह मरने के बाद प्रेत कंकर भटकती रहती है।
वहीं सनातन धर्म के अनुसार किसी मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करते समय उसकी लाश की हाथ-पैर बांध दिए जाते हैं ताकि उसके शरीर पर किसी भूत-पिशाच का वश न हो जाए। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मृत व्यक्ति का कभी भी सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार ना किया जाए अन्यथा उसे परलोक में कष्ट भोगने पड़ते हैं।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)