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Utpanna Ekadashi: जानिए उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा और क्या है इसका महत्व

Utpanna Ekadashi: उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इसे भगवान विष्णु की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उत्पन्ना एकादशी व्रत का पालन करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जयपुरNov 19, 2024 / 06:49 pm

Sachin Kumar

Utpanna Ekadashi

यहां जानिए उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा और महत्व।

Utpanna Ekadashi: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी का विशेष महत्व है। लोग इस एकादशी को व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। इस बार उत्पन्ना एकादशी 26 नवबंर 2024 को दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। लेकिन क्या आप उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा और महत्व जानते हैं? आइए जानें व्रत की पूरी कथा..

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उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा (Utpanna Ekadashi Vrat Katha)

धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार मुर नामक दैत्य ने सभी देवताओं को पराजित कर दिया था। देवता दैत्य के भय से स्वर्ग पर अपना अधिकार खो बैठे। मुर दैत्य ने स्वर्ग पर अपना कब्जा कर लिया। इस असुर से परेशान होकर देवता भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने मुर को युद्ध के लिए ललकारा। कई वर्षों तक दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ।
युद्ध के दौरान भगवान विष्णु को थकान हो गई तो वह बद्रिकाश्रम की गुफा में विश्राम करने चले गए। जब इसकी भनक जब मुर दैत्य को लगी तो वह गुफा में चला गया और भगवान विष्णु पर हमला करने की कोशिश की। धार्मिक मान्यता है कि भगवान की योगनिद्रा से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई। जिसने मुर का वध कर दिया। यह शक्ति एकादशी के नाम से प्रसिद्ध हुई। मान्यता है इस घटना के बाद से भगवान विष्णु ने एकादशी को अपने भक्तों का कल्याण करने वाला व्रत घोषित किया।

उत्पन्ना एकादशी महत्व (Utpanna Ekadashi Mahatva)

उत्पन्ना एकादशी धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। वहीं अपने भक्तों को हर प्रकार के कष्टों से मुक्त करते हैं। यह व्रत पुण्यकारी और पापों का नाश करने वाला है। जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखता है। उसे वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।

व्रत विधि (Vrat Vidhi)

उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूरे दिन उपवास करें साथ ही विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत खोलें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उत्पन्ना एकादशी व्रत आध्यात्मिक साधना और भगवान विष्णु की कृपा पाने का अद्भुत माध्यम है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन करता है। जो भी साधक इस व्रत को विधिपूर्वक और भक्ति के साथ करता है। उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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