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रायगढ़

हठयोग के २१ साल पूरे, आज मनाया जाएगा स्थापना दिवस

– शहर के कोसमनारा स्थित सत्यनारायण बाबा धाम में चल रही तैयारी

रायगढ़Feb 15, 2019 / 08:15 pm

Shiv Singh

हठयोग के २१ साल पूरे, आज मनाया जाएगा स्थापना दिवस

हठयोग के २१ साल पूरे, आज मनाया जाएगा स्थापना दिवस

रायगढ़. सत्यनारायण बाबाधाम में 16 फरवरी को बाबा सत्य नारायण धाम में स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा। इसी दिन बाबा सत्य नारायण अपने घर से निकल कर कोसमनारा में तपस्या में लीन हो गए। 21 वर्षो से बाबा तपस्या में बैठे है। बाबा का स्थापना दिवस पूजा-अर्चना के साथ भोग प्रसाद वितरण कर उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बाबा के स्थापना दिवस को श्रद्धालु धूमधाम से मनाते हैं।
तपस्वी बाबा सत्यनारायण ने डूमरपाली ग्राम के मध्यमवर्गीय कृषक परिवार में 12 जुलाई सन् 1984 को पिता दयानिधि, माता हंसमती साहू के घर पुत्र रूप में जन्म लिया। बाबा का नाम हलधर रखा गया। परंतु बाबा के पिता इन्हे सत्यम कहकर पुकारते थे। बाबा जी को बाल्यकाल से ही शिव स्वप्न में दर्शन देने लगे। जिसके बारे में बाबा अक्सर अपनी मां एवं दादी को बताते थे। एक बार हलधर गांव के ही शिव मंदिर में सात दिन और सात रात तक ध्यान लगाकर शिव उपासना में बैठ गए। उसके बाद बाबा निरंतर अपने ईष्ट देव में ही खोए रहे। शिव के प्रति उनकी आस्था देखकर गांव के बड़े बुढ़े एवं घर परिवार के लोगों ने उन्हे सत्यनारायण नाम दिया।

सत्यनारायण बाबा 16 फरवरी 1998 को आम दिनों की भांति घर से स्कूल जाने के लिए निकले। पर स्कूल ना जाकर अपने ईष्ट देव का नाम जाप करने के लिए पूर्व में ईश्वर द्वारा निर्धारित उचित स्थान की तलाश में चल पड़े। पैतृक ग्राम डुमरपाली से 18 किमी दूर कोसमनारा ग्राम के उजाड़ जगह पर तलाश पूरी हुई और सत्यनारायण बाबा ने यहीं पर अपनी तपोस्थली बना डाली। उसी दिन एक पत्थर को शिवलिंग मानकर अपनी जिव्हा अर्पण कर तपस्या में लीन हो गए। लगभग एक सप्ताह बाद एक सेवक ने शिवलिंग के बगल में बाबा से आज्ञा लेकर अग्नि (धुनी) प्रज्जवलित कर दिया जो आज अखण्ड धुनि के रूप में निरंतर प्रज्जवलित है। शुरू में बाबा की तपस्या को आम लोगों के द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा था। कुछ लोगोंं द्वारा परेशान करने एवं बाबा को अपने स्थान से उठाने का प्रयास प्रशासन एवं कई लोगों द्वारा किया गया। बाबा की तपस्या को देखकर जहां परेशान करने वाले बढ़ रहे थे। वहीं श्रद्धालु भक्तों की भी संख्या लगातार बढ़ रही थी। इसी को देखते हुए बाबा की 24 घंटा चौकसी होने लगी। बाबा के तपस्या की ख्याति धीरे-धीरे चारों ओर फैलने लगी।

बाबा को मिली है श्री १०८ की उपाधि
यहां के श्रद्धालु बताते हैं कि बाबा की ख्याति सुन कर आसाम कामाख्या से 108 मौनी कलाहारी बाबा (उम्र 108 वर्ष) भी कोसमनारा, रायगढ़ सत्यनारायण बाबा की तपस्या देखने आए। बाबा की तपस्या से प्रभावित होकर दो से आठ अपै्रल 2003 तक 108 सत्य चण्डी महायज्ञ किया गया एवं बाबा सत्यनारायण को श्री 108 की उपाधि देकर अपने धाम को वापस चले गए। तब से आज तक प्रतिवर्ष उनके अनुयायी यहां कोसमनारा आते है।

धीरे-धीरे संवरता रहा धाम
निर्माण शुरू हुआ, प्रथम कुटिया बनी, फिर पानी की व्यवस्था हुई। धीरे-धीरे बाबा जी का धाम अपना स्वरूप लेने लगा। पत्थरों की जगह शिवलिंग की स्थापना हो गई। धुनि की जगह हवन कुण्ड बना दिया गया। बाबा खेत की जमीन पर बैठे थे। भक्तों के अनुरोध पर चबूतरा पर बैठने को राजी हुए। वहीं जगत जननी अष्टभूजी दुर्गा माता मंदिर का निर्माण 2009 में पूर्ण हुआ।

खुले आसमान के नीचे साधना करते हैं बाबा
बाबा 16 फरवरी 1998 से अब तक तीनों मौसम ग्रीष्म, वर्षा एवं ठंड ऋ तु में खुले आसमान के नीचे निरंतर सुबह सात से रात्रि 12.00 बजे तक अपने ईश्वर की साधना में तपस्यारत रहते हैं। बाबा किसी भी भक्तजन से वार्तालाप नहीं करते। बाबा प्रतिदिन सुबह छह से सात बजे एवं रात्रि 12:30 बजे दो बजे तक आने वाले सभी भक्तों से मुलाकात करते हंै और बाबा अपनी बातों को भक्तों से ईशारे से समझाते हंै। शनिवार को बाबा जी अपने भक्तों से रात्रि 12:30 से सुबह पांच बजे तक मिलते हैं।

बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है प्रत्येक पर्व
तपस्वी बाबा सत्यनारायण बाबाधाम सभी त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। जिसमें 16 फरवरी स्थापना दिवस, महाशिवरात्रि, 12 जुलाई बाबा का जन्मोत्सव, गुरू पूर्णिमा, सावन के अंतिम सोमवार को महाभंडारा, नवरात्रि, दीपावली व होली शामिल है।

कोमसनारा में स्थापना दिवस की रहती है धूम
स्थापना दिवस के अवसर पर सुबह आरती बाद से दिन-भर शहर सहित दूर-दूर से भक्त बाबा जी के दर्शन को कोसमनारा आएंगे। साथ ही दिन भर भजन-किर्तन एवं प्रसाद वितरण का कार्यक्रम किया जाएगा।

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