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धार्मिक मान्यता के अनुसार जीवनदायिनी मां गंगा संगम पर अपनी बहन श्यामल यमुना से मिलने के लिए खुद पहुंचती है।जिससे यहां पर उनका बहाव पश्चिम वाहिनी हो जाता है। जानकारों की मानें तो बहुत कम है ऐसा होता है जब मां गंगा संगम पर पूरब दिशा में बहने और वह पूर्व वाहिनी हो। बाढ़ का पानी कम होता है तो गंगा और जमुना का स्वरूप बदल जाता है इस बार गंगा की धारा संगम पर सीधे पूरब की ओर बहने लगी है। ऐसा बहुत कम देखा गया है जब गंगा नदी संगम पर पूरब की ओर बहती हो त्रिवेणी तट पर जीवनदायिनी पश्चिम की ओर होते हुए यमुना को स्पर्श करती हुई आगे काशी की ओर बढ़ जाती हैं।
इस बार संगम के तट पर मां गंगा का बदला प्रवाह काफी शुभ माना जा रहा है। ज्योतिर्विद पंडित राम मिलन मिश्रा के मुताबिक मां गंगा के पूर्व दिशा के प्रभाव को बेहद शुभ माना जाता है। पंडित राम मिलन मिश्रा कहते हैं कि धर्म व कर्म के क्षेत्र और प्रगति के लिए पूर्व वाहिनी होना बेहद शुभ कार्य है जिससे सामाजिक उत्थान होता है। धार्मिक प्रतिष्ठान बनेंगे संगम पर महानदी का पूरब की ओर बहाव बेहद कल्याणकारी है यह प्रवाह विघ्न विनाशक है। मेले में कोई भी नहीं आएगा और ना ही किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होगी किसी प्रकार की कोई विपत्ति आने की आशंका को पतित पावनी ने अपने स्वरूप को बदलकर टाल दिया है।
पंडित राम मिलन मिश्रा कहते हैं कि सनातन परंपरा में पूरब दिशा शुभ माना जाता है। कहते हैं कि प्रमुख देवी देवताओं का वास पूरब की दिशा में होता है। मां गंगा पुरम वाहिनी होकर यह स्पष्ट कर दी है कि आने वाले माघ मेले में देवी देवताओं का प्रवास होगा मेले में सभी देवी देवता विराजमान होंगे। इसी कारण माना जा रहा है कि आस्था के इस समागम से भारत का अद्भुत दृश्य दुनिया देखेगी और भारत को विश्व भर में प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।