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प्रयागराज ने नेहरू को किया याद, कहा- लोकतंत्र में नेहरू के योगदान को भुला नहीं जा सकता

लायक बेटा पिता की उपलब्धियों को हमेशा याद रखता है

प्रयागराजNov 14, 2019 / 04:52 pm

प्रसून पांडे

Jawaharlal Nehru remember on birthdaty in Pryagraj

प्रयागराज ने नेहरू को किया याद, कहा- लोकतंत्र में नेहरू के योगदान को भुला नहीं जा सकता

प्रयागराज। संगम नगरी सदियों से विश्व में अपनी पहचान स्थापित किए हुए है। इस शहर की धार्मिक मान्यताएं और गंगा जमुनी तहजीब दुनिया भर में जानी जाती हैंए लेकिन इस शहर को इसलिए भी याद किया जाता है कि यह भारत के पहले प्रधानमंत्री की कर्मस्थली भी रही है। यहीं से पंडित नेहरू ने चुनाव जीतकर भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। एक तरफ जहां आनंद भवन आजादी की जंग का अहम गवाह रहा तो वहीं आजादी के बाद भी लंबे समय तक राजनीति का केंद्र बिंदु रहा। इसी आनंद भवन से देश को तीन प्रधानमंत्री मिले। ऐसे में पंडित नेहरू के 131वें जन्मदिन पर पत्रिका ने नेहरू के शहर के लोगों से जाना कि आज नेहरू उनके जेहन में किस तरह से रचे.बसें है।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभय अवस्थी ने कहा कि नेहरू के बिना भारतीय लोकतंत्र की परिकल्पना नहीं की जा सकती। नेहरू ने सत्ता संचालन का जो मार्ग उस समय स्थापित किया थाए आज तक उसी उसी राह पर चलते हुए भारत आगे बढ़ रहा है। लोकतंत्र में जब भी अखंडता की बात होगी, राष्ट्रीयता की बात होगी, तो पंडित नेहरू सबसे आगे खड़े नजर आएंगे। लोकतांत्रिक मान्यताओं को स्थापित करने वाले उन्हें मजबूत करने वाले पंडित नेहरू के ऊपर गलत आरोप लगाकर उन्हें भुलाया नहीं जा सकता है। नेहरू पर आरोप लगाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उन्ही मानदंडों पर चल रहे हैं। कितना भी जयकारा लगा लें लेकिन पंडित दीन दयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ऐसा कोई मापदंड नहीं दिया जिससे सत्ता का संचालन हो। उन्होंने कहा कि आज भी और राष्ट्रवादी नेता के तौर पर वह हमेशा रहेंगे। लायक बेटे अपने पिता की उपलब्धियों पर हमेशा गर्व करते हैं। भारतीय राजनीति के लिए नेहरू पितातुल्य थे।

कश्मीर को लेकर नेहरू निशाने पर
बीते दिनों सरकार द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के के दौरान पंडित नेहरू को सदन से लेकर सड़क तक जी भर के कोसा गया। कश्मीर समस्या को नेहरू की भूल बताया गया।

नेहरू का दौर अलग था
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इतिहास के पूर्व शिक्षक माताम्बर तिवारी कहते हैं कि नेहरू के बिना भारतीय राजनीति के सशक्तिकरण को पूरा नहीं किया जा सकता ।उन्होंने कहा कि जिन परिस्थितियों में भारत को पंडित नेहरू ने आगे बढ़ाने की कोशिश की वह सरहनीय है। राजनितिक रूप से कोई भी कुछ भी कहे लेकिन लोकतंत्र में नेहरू के योगदान को कम नही किया जा सकता। उन्होंने कहा सिर्फ चुनाव लड़ कर नेहरू संसद नहीं पंहुचे थे उन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।उन्होंने लोकतंत्र के पर्व को देखने के लिए यातनाएं भी झेली थी। इसलिए एक राज नेता के तौर पर ही उनको नही देखा जाना चाहिए।

14 नंबर1889 को हुआ पंडित जवाहरलाल 1921 में भारत में विदेश में पढ़ाई करके लौटे 1916 में उनका विवाह हुआ कमला नेहरू से 1917 में आंदोलन महात्मा गांधी कर रहे थे तो महात्मा गांधी के संपर्क में आए और 1917 में ही रौलट एक्ट के खिलाफ आंदोलन में उन्होंने पूरी तरह गांधी जी का साथ दिया और अपने पश्चिमी वस्तु को त्याग कर पूरी तरह खादी में को अपनाया और देश की आजादी के आंदोलन में कूद पड़े जवाहरलाल नेहरू 1955 में भारत रत्न हुए ।

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